मुजफ्फरपुर में आसान नहीं राजनीतिक कुर्सी ! शुक्ला से शाही तक बने निशाना 

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मुजफ्फरपुर में पिछले तीन दशक से जो दिख रहा है जिला के राजनीति में उससे साफ है भविष्य और भी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। 
NEWS DESK
राजनीति में कूटनीति के शिकार तो नहीं हो रहे भावी उम्मीदवार ये चौंकाने वाला दृश्य नजर आ रहा है।
किसी भी चुनाव से पूर्व भावी उम्मीदवार की हत्या हो जा रही है या कोई बड़े कांड में सीधे या फिर कूटनीति के तहत खुद या परिजन संगीन कांड के आरोपी हो जा रहे हैं।
जिन कांडों में आरोपित हो रहे हैं या फिर आरोप लग रहा है वह मामला  पुलिस अनुसंधान और माननीय कोर्ट का है उसपर टिप्पणी नहीं करनी पर जो हालात तीन दशक से लगातार बना हुआ है उससे साफ़ है कोई न कोई ऐसा शख्स है जो परदे के पीछे से मुजफ्फरपुर में उम्मीदवार बन रहे लोगों को निशाना बना रहा है ! 
 
 
कौशलेन्द्र शुक्ला उर्फ़ छोटन शुक्ला की हत्या 
मुजफ्फरपुर ही नहीं उत्तर बिहार में कौशलेन्द्र शुक्ला एक बड़ी हस्ती बन रहे थे राजनीति क्षेत्र में. बाहुबली आनंद मोहन के बिहार पीपुल्स पार्टी में बड़े रुतवा के साथ चुनावी दंगल की तैयारी में जुटे थे. चुनावी जनसम्पर्क से लौटने के दौरान छोटन शुक्ला को उनके सहयोगियों के साथ गोलियों से छलनी कर दिया गया.
 
रामु ठाकुर और परमेश्वर यादव की हत्या 
रामु ठाकुर औराई विधानसभा से चुनावी दंगल में किस्मत आजमाने के बाद फिर चुनावी तैयारी में जुटे हुए थे. जिला के एक नेता को ये गवारा नहीं था. इसी अदावत में परमेश्वर यादव की कल्याणी के नजदीक हत्या कर दिया गया. 
 
 
 
समीर कुमार पूर्व मेयर हत्याकांड 
समीर कुमार ने मुजफ्फरपुर में ठेकेदारी से जुड़ कर आम लोगों के बीच पहचान बनाई, वार्ड चुनाव के साथ मेयर तक का सफर तय करते हुए कई चुनाव में राजनीतिक दंगल में कूदते रहे।
समीर कुमार के मेयर बनते जिला के एक पोलटिकल शख्स समीर के विरोध में अक्सर दिखते थे।
समीर कुमार एक बड़े पार्टी से चुनावी दंगल में कूदने को बेताब थे, इसी दरमियान उनकी हत्या हो जाती है। ऐसे हत्या मामले में कई तरह की चर्चा होती रही लेकिन राजनितिक शख्स की हत्या से कयास ये भी लगाया जा रहा है की कहीं पोलटिकल इफेक्ट तो नहीं है। 
 
ब्रजेश ठाकुर कांग्रेस से किए थे चुनावी दंगल में कूदने का एलान
ब्रजेश ठाकुर पत्रकारिता के साथ जिला के राजनीति में दिलचस्पी रखते रहे।
कुढ़नी विधान सभा से चुनावी दंगल में किस्मत आजमा चुके थे, लिहाजा चुनावी गणित के माहिर थे।
ब्रजेश ठाकुर ऐसे कांड में आरोपी बने जो पूरे भारत ही नहीं देश विदेश में चर्चा का विषय बना।
सवाल आरोपी और आरोपित होने पर नहीं उठाया जा सकता, चूंकि पूरा मामला माननीय न्यायालय में है।
सवाल ये है जिला पुलिस प्रशासन हो या आरोप पत्र समर्पित करने वाली देश की बड़ी एजेंसी CBI, आखिर इतना दिनों से बालिका गृह में कुकृत्य हो रहे थे तो कहां था जिला प्रशासन और जिला पुलिस।
खैर जीवन मे अब चुनाव नहीं लड़ सकते ब्रजेश ठाकुर।
 
 
कांग्रेस नेता पर भी लगाया गया आरोप 
कांग्रेस पार्टी में एक युवा चेहरा बड़ी तेजी से सक्रिय हो रहा था राजनीति के क्षेत्र में. कर्मठ और युवा चेहरा किसके आँखों का कांटा बना डाला, अपने ही साथ चल रहे साथी के हत्या का आरोपी बना दिया गया. इस हमले में कांग्रेस नेता बाल बाल बच गए थे लेकिन कानूनी पेंच की वजह से एक बड़ा समय उन्हें जेल के सलखो के पीछे काटना पर गया 
 
आशुतोष शाही का भी रह गया राजनीति के दंगल का सपना अधूरा
आशुतोष शाही जमीन कारोबार में मुजफ्फरपुर ही नहीं देश के कई राज्य में बड़ा नाम था।
लोक सभा चुनाव में नामांकन के बाद त्रुटि की वजह से 2019 में चुनावी दंगल से बाहर रहे थे।
खबर पक्की है कि 2025 विधान सभा चुनाव में एक बड़े पार्टी से चुनावी दंगल में किस्मत आजमाने वाले थे। 2025 विधान सभा क्या, 2024 लोकसभा चुनाव से पूर्व ही निपटा दिए गए।
संजीव शर्मा हर घर तक पहुंच बना चुनावी दंगल के भावी प्रत्याशी, अब पत्नी के नाम पर संजीव का पॉलिटिकल ग्रहण
मुजफ्फरपुर विधान सभा चुनाव में अपना किस्मत आजमाने के लिए पुर्व मंत्री सुरेश शर्मा के पुत्र संजीव शर्मा ने हर घर खुद का पहचान स्थापित करने के लिए BIRTH DAY के मौके पर घर घर केक पहुँचवाते हुए शुभकामनाएं देते रहे।
हर घर हर परिवार तक खुद को स्थापित करने में कामयाब रहे, संजीव के इस पकड़ के बीच कुछ ऐसा हुआ जो चौंकाने वाला हुआ।
संजीव शर्मा की पत्नी 44555त आरोपी बनी हत्या के लिए हुए हमले में।
शहर के एक महिला पर गोलीबारी मामले में पुलिस के रडार पर आ गयी संजीव की पत्नी।
पूरे मामले में कोर्ट से राहत ले अग्रिम जमानत पर हैं संजीव की पत्नी।
 
बिहार की राजनीति का केंद्र मुजफ्फरपुर जिला अक्सर रहा है. तीन दशक से हो रहे हत्या और फंसने फंसाने के इस खेल में 2025 का विधान सभा चुनाव बड़ा दिलचस्प होगा।
2025 विधान सभा चुनाव में कई नए चेहरे बे-ताब हैं चुनावी दंगल में कूदने को ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की जिला पुलिस अपराध मुक्त माहौल बनाए रखने में किस हद तक कामयाब होती है 
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