मुजफ्फरपुर में पुलिस और भू माफिया गठजोड़ का हो चूका है खुलासा। बड़े कारोबारी आशुतोष शाही हत्या कांड के बाद पुलिस मुख्यालय ने जिला में जबरदस्त फेरबदल किया. सामूहिक ट्रांसफर के बाद कुछ दिन था शांत फिर हुआ खेला शुरू।
शहरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा भूमि विवादित नगर, मिठनपुरा, बेला, अहियापुर और सदर क्षेत्र में है
पुलिस मुख्यालय से डीजी रैंक से ले कर एडीजी रैंक के अधिकारी को मुजफ्फरपुर में समीक्षा के लिए आना पर गया था. हद तो ये है की गठजोड़ में इतना तय होता है की एकतरफा कार्रवाई से बाज नहीं आते कोतवाल।
कैसे होता डीलिंग कैसे होता मदद ?
जमीन कारोबारी किसी कब्ज़ा से पूर्व थाना मैनेज करते हैं. हद तो ये है की कई बार वरीय अधिकारी के नाम पर भी मोटी रकम की वसूली की जाती है, हाल ही में बिहार के एक जिले में कोतवाल द्वारा स्मैक मामले में बड़े साहब के नाम पर दो किलो का डिमांड हुआ था (दो किलो यानी दो लाख) एसपी के संज्ञान से पूर्व डीआईजी स्तर से कार्रवाई हो गयी और कोतवाल सस्पेंड कर दिए गए.
मुजफ्फरपुर में मदद के लिए कोतवाल डीलिंग के बाद ये करते हैं की अगर मामला बढ़ा तो कांड दर्ज होगा लेकिन धाराओं में मदद के साथ पीड़ित पक्ष से पूर्व आरोपी का ही एफआईआर दर्ज कर दिया जाता है. इसी को कहते हैं सेटिंग के तहत डीलिंग . सेटिंग डीलिंग का खेल में सनहा दर्ज होने की जगह 307 का भी कांड दर्ज कर दिया जाता है. ये हम नहीं कह रहे हैं पुलिस फाइल बता रही है.

पुलिस मुख्यालय के तमाम कार्रवाई के बाद भी मुजफ्फरपुर में ये गठजोड़ टूटने का नाम नहीं ले रहा है.
पूर्व के नगर थाना के सामने कुछ कदम की दुरी पर एक दुकान भवन के स्वामी रातो रात गायब हो गए कब्ज़ा किसी का हो गया.
केएमपी थाना क्षेत्र में सर्किट हाउस रोड में केयर टेकर थानों का चक्कर लगाता रहा पर कब्ज़ा स्वामी कब्ज़ा में कामयाब रहे थे.
जमीन कब्ज़ा करवाने में पीड़ित बनने वाले को ही गलत कांड में फंसाने का भी होता खेल, सीआईडी जांच में ये मामला भी हो चूका है उजागर
कब्ज़ा के खेल में दूध देने वाले जानवर का भी सौदा गिफ्ट में किया जाता है, ये दो दशक से पिछले कुछ वर्ष तक हुआ है.
अहियापुर क्षेत्र में तो जिन्दा को मृत साबित कर बड़ा कब्ज़ा हो गया लेकिन थाना से अधिकारी तक खामोश रहे. आखिर सेटिंग कहाँ से या फिर किसका दबाव रहा अधिकारी पर.
फिलहाल इस गठजोड़ से आमजन में दहशत कायम है, हरेक थाना को टास्क दिया गया था की अपने क्षेत्र के भूमाफिया का पूरी लिस्ट बनाए और विवादित जमीन का खाका तैयार किया जाए. आज के तारीख में अधिकांश कोतवाल के पास दोनों सम्पूर्ण लिस्ट नहीं होगी, इसी से समझा जा सकता है की भू माफिया कितने सेटिंग में कामयाब हैं