पूर्णिया लोक सभा चुनाव 2024 – कठिन है सफर महागठबंधन का – पप्पू कामयाब हो जाते अगर …

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बिहार में 40 सीटों के साथ बीजेपी का जीत का दावा बहुत हद तक सच होता दिख रहा है.
बिहार के चार सीटों पर कांटे की टक्कर के साथ अंदरखाने महागठबंधन के अंदर भितरघात से इनकार करना जल्दबाजी होगी.
कांग्रेस, राजद के बीच सीट बटवारे के बाद मुकेश सहनी के साथ अन्य जो दलों को जितने सीटों पर संतोष करना पर गया है वैसे में देखा गया की सीट बटवारे में एक क्षत्र राज लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का रहा है. पूर्णिया सीट से पप्पू यादव के चर्चा के बीच राजद कोटे से सीट देने से साफ़ है की लालू तेजस्वी हावी रहे कांग्रेस पर.
भितरघात और अंदरूनी असंतोष से महागठबंधन का सपना नहीं होगा पूरा 
बिहार के सीटों की चर्चा करें तो पहला नाम पूर्णिया का आता है. कांग्रेस से हरी झंडी मिलने के बाद पप्पू यादव ने अपनी पार्टी को ख़त्म कर विलय तक कर लिया, उसके बाद जोड़दार झटका पप्पू यादव को लालू खेमा ने देते हुए अपना उम्मीदवार उतार दिया।
बात पूर्णिया की करें तो पूर्णिया में पप्पू यादव के व्यक्तिगत छवि की वजह से उनके चाहने वाले लाखों में हैं. इस इलाके के यादवों की गोलबंदी जातीय आधार पर होती रहती है. ऐसे में एक बड़ा वोट बैंक यादव वोट पर पप्पू का कब्ज़ा माना जा रहा है
महागठबंधन से बीमा भारती हैं तो पप्पू निर्दलीय मैदान में जम गए, वहीं NDA से जदयू के टिकट पर संतोष कुमार कुशवाहा मैदान में हैं.
मतविभाजन में तीसरे स्थान पर बीमा भारती या पप्पू 
पूर्णिया सीट पर पूरी तरह से मतविभाजन होना तय है. इस लोक सभा सीट पर टक्कर दूसरे और तीसरे उम्मीदवार के बीच होना तय है. टक्कर बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच होगा, वहीं NDA उम्मीदवार इन दोनों के टक्कर में मोदी के नाम पर और लहर का फायदा उठाते हुए जीत के तरफ फिलहाल बढ़ते दिख रहे है. वर्ष 2014 के चुनाव में एक लाख से अधिक मत 1,16,669 से जीत दर्ज किए थे संतोष, वहीं 2019 ढाई लाख से अधिक मत 2 लाख 63 हजार 461 प्राप्त किए थे. मत प्रतिशत को देखें तो जनता के बीच लोकप्रिय होने के वजह से ही पांच वर्षो में करीब डेढ़ लाख से अधिक मार्जिन में इजाफा हुआ.
पूर्णिया सीट पर राजद खेमा का अकड़ ने पप्पू को दूर किया। यही  वजह होगी पिछड़ने का. वैसे अभी चुनाव बाकी है मतदान और मतगणना के बीच की दुरी में NDA को जीत का इंतजार करना तो पर ही जाएगा। बात पप्पू की करें तो अगर बिमा नहीं होती तो टक्कर देने में कामयाब हो जाते NDA को. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है की जिस तरह से पप्पू के प्रति आम मतदाताओं में उत्साह दिख रहा है उसमे कहीं खेला न हो जाए
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