मुजफ्फरपुर में FIR के बाद गवाह का खेल – शराब कारोबारी भी बन जाते गवाह

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मुजफ्फरपुर में थाना स्तर से बड़ी लापरवाही सामने आती रहती है. किसी भी कांड को दर्ज होने के बाद थानेदार के द्वारा आनन – फानन में ऐसे लोगों को गवाह बनाया जाता है जिसे पुलिस जानती भी नहीं है या यूँ कहें तो एक प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए मौके पर मौजूद किसी स्वतंत्र गवाह का नाम दे कर उसे गवाह बना दिया जाता है. कई मामलों में पुलिस फाइल पर नजर दें तो थाना के मुखबिर, थाना क्षेत्र में अवैध कारोबार से जुड़े लोग बन जाते हैं गवाह
AK 47 से हत्या – जब्ती सूची में शराब माफिया बना गवाह 
मुजफ्फरपुर में एक हत्या AK 47 से हुआ. हत्याकांड के बाद तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार के निर्देश पर तत्कालीन डीएसपी टाउन की सक्रियता से घटना के चंद मिनटों बाद ही आरोपियों की पहचान कर ली गयी, मिठनपुरा थाना के तत्कालीन कोतवाल ने पुरे मामले को गंभीरता से जांच करते हुए आरोपी से जुड़े कई लोगों को जेल भी भेजा। इस घटना के बाद मौके वारदात पर फैले AK 47 के खोखे को जब्त करते हुए पुलिस टीम ने मौके पर मौजूद लोगों को गवाह के लिए तैयार करने का प्रयास किया था. मौके पर मौजूद लोगों में कोई आगे नहीं बढ़ा जब्ती सूचि में गवाह बनने के लिए. मौके पर मौजूद शराब कारोबारी और एक अन्य व्यक्ति बना गवाह।
किडनी कांड में गवाह पलटा , क्या पुलिस ने किया था प्रक्रिया पूर्ण ?
हाल के घटनाओं पर गौर करें तो किडनी कांड में जिसे गवाह बनाया गया, वह व्यक्ति कोर्ट में जा कर पलट गया, हद तो ये है जब्ती सूची में गवाह बनाया गया था. कथित डॉक्टर के ठिकाने से जो बरामदगी हुई उस वक़्त उक्त गंभीर मामले में पुलिस कितना सक्रिय थी इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है. जब प्रदर्श के ही गवाह पलट गए तो आगे किडनी काण्ड ऐसे गंभीर मामले में दोषियों पर क्या सजा मुकर्रर हो पाएगी ये तो आगे कोर्ट का मामला है.
पुलिस की मज़बूरी भी है तो करते प्रक्रिया पूर्ण 
आम तौर पर हत्या का मामला हो या किसी भी आपराधिक वारदात का मामला में कोई आम व्यक्ति कोर्ट का चक्कर और थाना पुलिस से बचने के लिए गवाह नहीं बनना चाहता। कभी कभी तो गवाह को ये भी भय होता है की अपराधी या आरोपी के तरफ से धमकी मिल सकती है. कई मामले देखें गए हैं जिसमे गवाह की हत्या तक हो जाती है. ऐसे में पुलिस की मज़बूरी होती है की मौके वारदात पर गवाह की प्रक्रिया पूर्ण की जाए. कभी कभी पुलिस के वैसे मुखबिर गवाह बन जाते हैं जो खुद सट्टा, शराब, स्मैक के कारोबार से जुड़े होते हैं
न्यायिक प्रक्रिया में गवाह अगर पलट गया तो बड़े से बड़े कांड में आरोपी को फायदा मिलता है और वह बरी हो जाता है. ऐसे में पुलिस की प्रक्रिया पूर्ण के चक्कर में आरोपी को मिलती रहती है राहत 
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