मुजफ्फरपुर में कांटी थाना क्षेत्र और मुशहरी के साथ अर्ध शहरी क्षेत्र का एक थाना के साथ मिठनपुरा इलाका बन गया है वाहन चोर गिरोह का हब. इन इलाकों में गैरेज के नाम पर होता है चोरी के गाड़ियों का नंबर पंचिंग और कलर चेंज का धंधा. चार चक्का वाहन में कार और अन्य लग्जरी गाड़ियों के चोरी के धंधे में शामिल सिंडिकेट के सदस्य अब ट्रक, बस, हाई वा, सहित टीपर के साथ बस के चोरी में भी शामिल हो गए हैं. मुजफ्फरपुर में अलग अलग सिंडिकेट की बात करें तो कई सिंडिकेट काम कर रहा है. सिंडिकेट में अलग अलग कार्य के लिए सदस्य अपना कार्य करते ही हैं साथ ही डीटीओ कार्यालय में भी इस सिंडिकेट से जुड़े कई चेहरे काम करते हैं. हर किसी का काम अलग अलग बटा रहने के वजह से पुलिस मैनेजिंग का भी कार्य निर्धारित है

मुजफ्फरपुर में औरंगाबाद से चोरी गया बस बरामद
मुजफ्फरपुर में छोटी गाड़ियों और ट्रक टीपर के बाद बस बरामदगी के बाद ये साफ़ हो गया है कि सिंडिकेट ने अपना पैर इतना पसार लिया है कि बस तक की चोरी कर जिला में ठिकाना लगाने लगे हैं. औरंगाबाद नगर थाना में सुनील कुमार सिंह ने 27 नवंबर को एक एफआईआर दर्ज कराया था जिसमे BR 26G – 0438 बस, स्टैंड से चोरी के सन्दर्भ में जानकारी दिया था. नगर थाना पुलिस ने 752/22 कांड दर्ज कर कार्रवाई शुरू किया

फ़ास्ट टैग से मिला बस स्वामी को बस का ट्रेस
बस मालिक सुनील सिंह को टॉल पासिंग कटने के बाद उन्हें जानकारी मिली कि फ़ास्ट टैग के खाते से बस पास हुआ है. इसके बाद बस मालिक ने तुरंत इसकी जानकारी अपने एसपी को दिया फिर क्या एसपी ने नगर थाना पुलिस के साथ जिला डीआईयू टीम को बस बरामदगी के लिए लगा दिया … औरंगाबाद पुलिस ने मुजफ्फरपुर सदर पुलिस के मदद से खबरा इलाके से बस को बरामद कर लिया है.

बस बरामदगी के बाद उठ रहे है कई सवाल
मुजफ्फरपुर जिला के गाड़ी चोर का सिंडिकेट झारखंड, बिहार के कई जिलों के साथ कटक, बंगाल, वाराणसी, मध्यप्रदेश, यूपी के अन्य जिला सहित और कई राज्य में सीधे नेटवर्क को जोड़ रखा है. बस चोरी करने वाले माफिया किस सिंडिकेट से जुड़े हैं इसकी तफ्तीश अब औरंगाबाद पुलिस टीम कर रही है. अंदरखाने जो बातें सूत्रों के हवाले से सामने आ रहा है कि बस चोर गिरोह जो आया है उसका मकसद फूल लॉस वाले बस के जगह ठिकाने लगाना था. इसके लिए एक यार्ड के करीब बस को पार्क किया गया जिससे स्थानीय पुलिस को संदेह न हो वहां अक्सर गाड़ियां लगी रहती है. बस पार्क कर नंबर भी बदल दिया गया था, अब बारी थी दूसरे हॉकर का जो दूसरे गैरेज में ले जा कर लगाता जहाँ बस का चेयर और बॉडी बदल कर चेचिस नंबर और रजिस्ट्रेशन नंबर बदल कर अपने तकनीक से बेचते अपराधी. चोरी कर लाए बस के सारे मनसूबे पर फास्ट टैग ने पानी फेर दिया और पुलिस के हत्थे चढ़ गया बस

जल्द पढ़ें
कैसे होता चोरी ?
कैसे होता चोरी का गाड़ी एक नंबर पेपर ?
कैसे बिहार से झारखंड और यूपी तक का सफर कर होती गाड़ियों की डील ?
कौन कौन है डीटीओ में ?
कौन है बीमा कंपनी में ?
कौन है फाइनेंस में ?
पुलिस डीलिंग कैसे ?