Muzaffarpur पूर्व राष्ट्रपति देश रत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की 137बी जयंती पर कई कार्यक्रम आयोजित

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देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती नया टोला आर्य समाज  नया टोला के आर्य अधिवक्ता समाज के कार्यालय में चंद्रलोक चौक स्थित आर्य समाज नया टोला के भवन में एवं शत्रुघ्न देव कुंदन देवी आर्य कन्या पाठशाला के परिसर में मनाई गई कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री उदय शंकर श्रीवास्तव ने की मुख्य अधिवक्ता एवं अतिथि के तौर पर श्री निर्भय कुमार वरीय अधिवक्ता मुजफ्फरपुर जिला विधिक संघ उपस्थित थे देशरत्न के जीवन के चरित्र पर उनके द्वारा प्रकाश डाला गया उपस्थित लोगों ने स्थानीय चंद्रलोक चौक स्थित सभी स्थानीय निवासी एवं व्यापारी वर्ग के लोगों ने आर्य अधिवक्ता समाज के द्वारा शुरू की गई विधिक सहायता केंद्र की सराहना की विधिक सहायता केंद्र की विधिवत शुरुआत शुभारंभ करते हुए अरुण कुमार शर्मा वरीय अधिवक्ता ने कहा की देशरत्न जैसा कोई दूसरा प्रतिभावान इस धरा पर नहीं हुआ जिनके लिए एग्जामिनी इस बेटर देन एग्जामिनर कहा गया है उनके आदर्शों को उनकी सादगी को एवं संविधान सभा के मुख्य सलाहकार एवं देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में संविधान के संरक्षक एवं मानव अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देने वाला भारत का संविधान देशरत्न के मार्गदर्शन में ही तय हो पाया यह भारत का सौभाग्य है। उपस्थित समूह समाज ने देशरत्न अमर रहे अमर रहे का जयघोष नारा आकाश में गुंजायमान किया
ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस जिला इकाई की ओर से पूर्व राष्ट्रपति,  देश रत्न डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की 137बी जयंती उनके चित्र पर माल्यार्पण कर मनाई गई। बीएमपी सिक्स दुर्गापुरी रोड आवासीय कार्यालय में आयोजित किया गया।जिला अध्यक्ष डॉ रवि शंकर चैनपुरी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद महान स्वतंत्रता सेनानी वह अद्भुत क्षमता के व्यक्ति थे। उनकी प्रतिभा ऐसी थी की भारत के संविधान को उन्होंने हुबहू लिखकर अपने अद्भुत प्रतिभा को दर्शाया। सादा जीवन उच्च विचार उनके जीवन का मूल मंत्र था। उनकी पढ़ाई उर्दू फारसी एवं बंगाली भाषा और साहित्य से पूरी तरह हुई थी। तथा अन्य भाषाओं मैं सरलता से प्रभाव कारी व्याख्यान भी दे सकते थे। हिंदी के प्रति उनका  अगाध प्रेम था।
उनका निबंध सुरुचिपूर्ण एवं प्रभाव कारी होते थे। 1926 इस्बी मैं वह बिहार प्रदेशीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के और 1927 ईस्वी में उत्तर प्रदेशीय हिंदी साहित्य सभापति थे। वकालत से करियर की शुरुआत किए थे। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनका पदार्पण वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए दिया था। 1914 ईस्वी में बिहार और बंगाल में आई बाढ़ में उन्होंने काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। 1934 ईस्वी के भूकंप के समय राजेंद्र बाबू कारावास में थे। राष्ट्रपति के रूप में कई ऐसे दृष्टांत छोड़े जो बाद उनके परिस्थितियों के लिए मिसाल के तौर पर काम करते रहे। उनका देहांत 28 फरवरी 1963 ईस्वी में पटना के सदाकत आश्रम में हुआ।
जयंती के शुभ अवसर पर जिला अध्यक्ष डॉ रवि शंकर चैनपुरी, इंजीनियर केदारनाथ प्रसाद, रमेश प्रसाद श्रीवास्तव, मधुरेश कुमार श्रीवास्तव, सुरेंद्र प्रसाद, अनूप कुमार श्रीवास्तव,अभिषेक आशीष, विजय कुमार वर्मा, राजीव कुमार, कृष्ण मुरारी प्रसाद, सुबंश कुमार श्रीवास्तव, नयन मुकुंद, अभय कुमार सिन्हा, भोला शंकर,
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