बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव के लिए सरगर्मी बढ़ गयी है, नए नए पार्टी की स्थापना हो रही है. कोई दल बदलने में लगा है, इन सब के बीच 2020/22 चुनाव में हारे उम्मीदवारों के लिए मुजफ्फरपुर में बड़ी चुनौती है.
दो विधान सभा क्षेत्रों की समीक्षा और आम मतदाताओं के रुझान और “जनता का मूड” से साफ़ है कि कठिन है सफर हारे उम्मीदवारों के लिए फिर चुनावी दंगल।

मुजफ्फरपुर विधान सभा क्षेत्र की बात करें तो भाजपा के सुरेश शर्मा करीब 6 हजार मतों से पराजित हुए थे बिजेंद्र चौधरी से, ऐसे में टक्कर का दंगल नजर आ रहा है 2025 में अगर फिर से दोनों आमने सामने होते हैं.
इन दोनों को टक्कर देने के लिए नए चेहरे संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट देखें तो डॉक्टर गौरव वर्मा, संजय केजरीवाल तो चुनौती बनेंगे हीं, तीसरी उम्मीदवार भी एक महिला डॉक्टर हो सकती हैं, महिला डॉक्टर बिजेंद्र और सुरेश शर्मा दोनों के द्वारा प्राप्त मतों की संख्या के करीब शहरी क्षेत्र में मत पा कर एक जगह विराजमान हैं.

नगर में चर्चा में कई उम्मीदवार सिर्फ भाजपा से
चर्चा भाजपा से और भी उम्मीदवारों का है. हर किसी कार्यकर्ता का सपना है हम भी उम्मीदवार बने, एक होटल वाले नेता जी भी चुनावी दंगल का पीच तैयार कर रहे हैं. पूर्व मंत्री के पुत्र के उम्मीदवारी के चर्चा के बीच हाल में हुए घटनाक्रम के बाद चुनावी पीच से फिलहाल बाहर दिख रहे हैं. नए उम्मीदवारों में ‘चाय पे चर्चा’ के माध्यम से युवा डॉक्टर गौरव वर्मा लगातार अपने मिशन में लगे है. ख़ास बाते ये है की पब्लिक में हर जाती, धर्म, उम्र के लोग गौरव के रूप में नया चेहरा देखने में लगे है.
संजय केजरीवाल भी वार्ड की सेवा करते – करते शहरी क्षेत्र के दंगल में आने वाले हैं. ऐसी चर्चाओं के बीच जनसुराज पार्टी पर निर्भर करता है की उम्मीदवार बनाया तो बिजेंद्र के लिए बड़ी चुनौती होगी।
भाजपा में सुरेश शर्मा नहीं तो कौन ये भी चर्चा आम मतदाताओं में है, बिजेंद्र चौधरी के लिए चर्चा है महागठबंधन हो या और कहीं जब चाहेंगे फिर पार्टी बदल भी सकते हैं या फिर निर्दलीय मैदान में उतर सकते हैं. जनता ये जानती है निर्दर्लीय हो या कोई भी पार्टी में जाने से बिजेंद्र को गुरेज नहीं रहा है. वहीं विधान सभा क्षेत्र बदलने बात पर आम मतदाता विराम लगा रहे हैं कारण क्षेत्र बदले थे तो हार का सामना करना पर गया था.

बोचहां विधान सभा तीसरा दमदार उम्मीदवार तय करेगा समीकरण
बोचहां विधान सभा चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है 2025 में, अमर पासवान के जित का अंतर बेबी कुमारी के लिए बड़ी चुनौती है. 2020 में बेबी कर मुशाफिर पासवान से करीब 10 हजार का अंतर था तो वहीँ 2022 करीब 37 हजार से अमर ने बेबी को पीछे छोड़ दिया था, इसमें अमर के साथ सेंटीमेंटल मतदाताओं के साथ बेबी के कार्यकाल में खफा हुआ उन कट्टर समर्थकों की एक बड़ी फ़ौज का अमर के साथ मिलाना ख़ास रहा.
2025 में भाजपा अगर फिर से बेबी को उम्मीदवार बना दे तो बेबी के भविष्य का फैसला जनता के साथ तीसरे उम्मीदवार के द्वारा ही होगा। तीसरा उम्मीदवार अगर महागठबंधन का मत काटने में कामयाब हुआ तो जित उसकी तो नहीं ही होगी फायदा बेबी को मिलेगा।
वहीं भाजपा अगर नए प्रयोग करता है तो साफ़ है टक्कर सीधा होगा महागठबंधन और NDA भाजपा के बीच.
बोचहां में लगातार भाजपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं का मोह भंग होते गया इसके पीछे का वजह क्या है ? भाजपा का हार का वजह वही रहा है पिछले दो चुनाव में. ऐसे में नए उम्मीदवार को भाजपा अगर उतारती है मैदान में तो नए उम्मीदवार भाजपा समर्थित मतदाताओं को एकत्रित करने के साथ एक मंच पर रूठे कार्यकर्त्ता भी एक जुट हो सकते हैं