मुजफ्फरपुर पुलिस घटित अपराध के बाद डिटेक्शन भी करती रही वर्ष 2023 में, दूसरी तरफ आजादी के बाद पहली बार जिला पुलिस कुछ मामले में बिलकुल लाचार दिखी. लाचारी की चर्चा के बीच वर्ष 2023 का आखरी दिन सामने आ गया. 2023 के आधे वर्ष बीत जाने के बाद जिला में एएसपी टाउन की पोस्टिंग से जिला के शहरी क्षेत्र में बहुत हद तक अपराध के डिटेक्शन में फायदा मिला जिला पुलिस को, इसके पीछे मुख्य वजह ये रहा की आईपीएस अवधेश दीक्षित कम समय के कार्यकाल के दौरान पब्लिक में जबरदस्त पकड़ अपनी वाणी और व्यवहार से बना लिए, मटन कारोबारी हत्याकाँड में उन्हें मौके वारदात पर जानकारी मिल गयी थी कि मृतक का जबरदस्त ग्रुप बना हुआ है, ये जानकारी एक बड़ी लीड साबित हुआ और दोस्तों से हीं पूछ ताछ के दौरान दो दिनों के अंदर हत्याकांड का खुलासा जिला पुलिस कर ली

बाइक सवार अपराधी पकड़ से बाहर
वर्ष 2023 में मुजफ्फरपुर जिला पुलिस “दिन हो या रात पुलिस आप के साथ स्लोगन” के साथ जनता के बीच रही. इन सब के बीच पुलिस के अंदर मजबूती दिखी, जिला में आईजी, एसएसपी, सिटी एसपी, टाउन डीएसपी की जगह टाउन एएसपी के रूप में आईपीएस मिले, फिर भी क्यों लाचार हुई पुलिस ? बड़ा मुद्दा है. बाइक लुटेरा गिरोह में एक दर्जन ऐसे मामले रहे जिसमे पुलिस के हाथ खाली के खाली रहे. चुनौती बनी रही पुलिस के लिए ऐसे लूटेरा को गिरफ्तार करना, एक बाइक पर सवार दो शख्स शहर ही नहीं जिला के हर थाना क्षेत्र में छिनतई लूट करते रहे. हद तो ये रहा दावा किया गया मिठनपुरा से हुई गिरफ्तारी के बाद की अब गिरोह पर नकेल कस दिया गया, अपराधी गिरफ्तार हो गए, फिर भी ये अपराधी को एक वर्ष में पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी.

लाचार जिला पुलिस के बीच CID
मुजफ्फरपुर में कई मामलों में सीबीआई और सीआईडी टीम अनुसंधान कर चुकी है, उन मामलों में भी प्राम्भिक कार्रवाई पुलिस द्वारा कर ली गयी थी जिसे संतोषजनक जांच कहा जा सकता है. बालिका गृह काण्ड देखें तो जिला पुलिस ने ही आरोपी बने मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार की थी.
नवरूणा अपहरण काण्ड में भी जिला पुलिस ने जो जांच किया उसमे सीबीआई ऐसी संस्था भी उससे आगे कुछ नहीं कर सकी थी.

डॉन के नाम से ही बेबस हुई पुलिस
अंडरवर्ल्ड डॉन मंटू शर्मा के मामले में हाल के दिनों में आशुतोष शाही हत्याकांड के बाद जिला पुलिस ऐसी लाचार और बेबस दिखी जैसा आजादी के बाद कभी जिला में नहीं हुआ था, घटना के चंद दिनों के अंदर मामला सीआईडी को ट्रांसफर का दिया गया अनुसंधान के लिए.
अंडरवर्ल्ड डॉन मंटू शर्मा को एक रंगदारी मामले में इसी जिला पुलिस के द्वारा पूर्व के वर्षों में दूसरे प्रदेश से गिरफ्तार कर लाया गया था.
यशी अपहरण काण्ड में भी एक वर्ष के करीब जिला पुलिस हवा में गोते लगाती रही लेकिन युवती के बरामदगी नहीं कर सकी, कांड के प्रथम आइओ की लापरवाही के साथ काण्ड का जांच शुरू किया गया और अंततः खाली हाथ.
जिला के पुलिस कप्तान को लगातार कोर्ट में उपस्थिति दर्ज करानी हुई तो बेबसी में मामला सीआईडी को सौंप दिया गया


मुजफ्फरपुर में इस दौरान बेहतर कार्य भी हुई, जिसमें कुछ में तो पुलिस को लक साथ दिया और आवेदक ही लाइनर निकला था, वहीं एक अपहरण कांड में रेल कर्मी द्वारा अपहृत को बरामद किया गया जिसका क्रेडिट जिला पुलिस के नाम हुआ. जिला में कई थानों में आज भी हाल वही है फरियादी के साथ जो होता है वह पब्लिक जानती है. अब देखना दिलचस्प होगा की जिला में 2024 में कैसी व्यवस्था जिला पुलिस में नजर आता है. नए वर्ष में कई चुनौतियां होने से इंकार नहीं किया जा सकता. जेल से छूटने वाले बड़े संख्या में अपराधी जो अपराध करने से बाज नहीं आएँगे. वहीं गैंगवार से भी इंकार नहीं किया जा सकता
