बिहार से हथियार खरीद दूसरे प्रदेश में ले जा रहे तस्कर, हथियार के मामले में बिहार छत्तीसगढ़, पंजाब, महाराष्ट्र और यूपी में चर्चित है. इन राज्यों में बिहार के हथियार तस्कर के द्वारा बिक्री किया जाता है पिस्टल और कट्टा। छत्तीसढ़ के दुर्ग इलाके में एक अपराध मामले में गिरफ़्तारी के बाद खुलासा हुआ कि पिस्टल की खरीद बिहार के क्यूल इलाके से 50 हजार रुपया में किया गया. वहीं एक मामले में पुलिस तफ्तीश में अपराधी ने खुलासा किया कि 35 हजार में पिस्टल पूना पहुँचाया गया. पुणे में आर्म्स बिक्री मामले में जो जानकारी सामने आयी है जेल के अंदर से डील फाइनल हुआ और फिर बिहार से पिस्टल पुणे पहुंच गया. पंजाब में पब्लिक के हत्थे चढ़े एक सिरफिरा आशिक ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि पिस्टल बिहार के मुजफ्फरपुर से 40 हजार में खरीद कर पहुंचा था

STF के द्वारा जिलों के साथ दूसरे राज्य में चलती कार्रवाई
हथियार तस्करों और निर्माताओं के खिलाफ बिहार STF के द्वारा जिलों के साथ दूसरे राज्य में चलती कार्रवाई, तंग हक़ीक़त ये है थाना से चंद कदम की दुरी पर चल रहे तमंचे के फैक्ट्री की जानकारी थाना को नहीं होती। अक्सर छापेमारी की खबर में जिला पुलिस के सहयोग की बात भले STF द्वारा किया जाता है पर सच्चाई ये होती है, कार्रवाई से पूर्व सम्पूर्ण इनपुट बिहार STF का ही होता है. एक दो जिलों में लोकल पुलिस के द्वारा बड़ी कार्रवाई पिछले कुछ वर्षों में देखने को सामने आया था. इसमें मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसएसपी जयंत कांत के नेतृत्व में न सिर्फ मुजफ्फरपुर, मुजफ्फरपुर के बॉर्डर इलाके में हथियार फैक्ट्री पर पुलिस ने धावा बोला था. मुजफ्फरपुर से बंगाल तक आर्म्स तस्करों का नेटवर्क का खुलासा करते हुए तत्कालीन एसएसपी जयंत कांत बड़े मात्रा में बरामदगी के साथ तस्कर निर्माता को गिरफ्तार करने में कामयाब हुए थे. ////

STF से बचने के लिए सोशल साइट का सहारा ले रहे तस्कर
बिहार में कई जिलों में हथियार निर्माण होता है और पूर्व में भी होता रहा है. आर्म्स फैक्ट्री पर लगातार बिहार STF टीम की कार्रवाई में 2023 की बात करें तो अभी तक लगभग करीब एक दर्जन ठिकानों पर बिहार STF टीम ने छापेमारी किया है. छापेमारी में हथियार निर्माण से जुड़े मशीन के साथ हथियार और अर्धनिर्मित हथियार की बरामदगी के साथ तस्कर गिरफ्तार किए गए

बिहार STF के विशेष टीमों से बचने के लिए हथियार तस्कर अब सोशल साइट का सहारा लेते हुए व्हाट्सएप, टेलीग्राम, और इंडी कॉल का सहारा ले कर खरीद बिक्री करने में जुटे हुए हैं, AK 47, कार्बाइन, पिस्टल और कट्टा का जो कोड का इस्तेमाल तस्कर किया करते थे, उन तमाम कोड को डीकोड होने की स्थिति में अब नए कोड का इस्तेमाल करने में जुटे हैं हथियार तस्कर. दूसरे प्रदेशों की पुलिस द्वारा हुई गिरफ़्तारी और बरामदगी के बाद ये साफ़ हो गया है कि बिहार के आर्म्स तस्कर कई राज्यों में सप्लाई करते हैं. ऐसे में जरूरत है बिहार के थाना में तैनात थानेदारों को अपने नेटवर्क को विस्तारित करते हुए इन हथियार निर्माताओं पर कार्रवाई की.