बिहार में फिर शराब कांड “सीतामढ़ी का शख्स आरा में पिया शराब – मुजफ्फरपुर में 21 को हुआ शराब का सेवन

बिहार के कई ऐसे कोतवाल बने है जो ALTF टीम में रहते ट्रक पकड़ - पकड़ वरीय अधिकारी के नजर में हीरो बन गए

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बिहार में शराबबंदी के दौरान लगातार जहरीली शराब से मौत का तांडव जारी है. हर कुछ माह के बाद बिहार के जिलों से शराब से मौत का मामला सामने आता रहता है.
मुजफ्फरपुर के हथौड़ी थाना क्षेत्र में जहरीली शराब से मौत की खबर से प्रशासनिक महकमा हलचल में आ गया. वहीँ सीतामढ़ी के पुरौना का भी एक शख्स शराब पिने से बीमार हो कर जीवन और मौत के बीच जूझ रहा है
मुजफ्फरपुर में  पिया शराब हुई मौत
मुजफ्फरपुर के हथौड़ी थाना क्षेत्र के एक गाँव के ग्रामीण श्याम सहनी की मौत शराब पिने से हो गयी. वहीं स्थानीय सूत्र बताते हैं की 65 वर्ष से अधिक के एक शख्स  अस्पताल में भर्ती है, और तीसरा मुकेश निजी अस्पताल में जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. खबर चौथे शख्स का भी है पर वह कहां इलाज करा रहा है अभी तक उसकी जानकारी सामने नहीं आयी है. देर शाम मौत की खबर के साथ कई लोगों के बीमार होने की खबर आयी, अब तक चार लोग ही चिन्हित हुए हैं.मुजफ्फरपुर के सभी बीमार और मृत लोगों के बारे में जानकारी मिल रही है की 21 तारीख के रात में ही सभी ने पार्टी किया और शराब पिया, हथौड़ी थाना क्षेत्र के ग्रामीण आक्रोश में है कि अवैध शराब के खिलाफ थाना स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं दिखती, हद तो ये है इस इलाके में शराब का निर्माण भी होता है पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती
आरा में कैसे क्या हुआ ?
आरा में एक ठेकेदार के साथ कार्य करने गए लोगों ने पिया था शराब। जहरीली शराब होने के वजह से सभी की तबीयत नासाज होने लगी जिसके बाद ठेकेदार आनन फानन में सभी बीमार को ले कर पटना आया.
आरा में राजमिस्त्री का कार्य के साथ अन्य कार्य में काम कर रहे थे. सीतामढ़ी के आनंद कुमार के परिजन बताते हैं कि आरा में ही चार लोग शराब पिया सब और वहां से तबियत ख़राब होने के पटना में इलाज करवाते हुए ठेकदार सभी को छोड़ कर फरार हो गया.

विपक्ष का आरोप सच होते दिखता है जब जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा बढ़ता है. निश्चित ही कहीं न कहीं लोकल थाना स्तर से शराब माफियाओं को संरक्षण दिया जा रहा है तब ही तो  थाना स्तर से मुकम्मल कार्रवाई नहीं दिखती।
सारण और गोपालगंज में कोतवालों द्वारा शराब माफियाओं को संरक्षण और शराब के खिलाफ कार्रवाई में कोताही के आरोप में सस्पेंड किए गए हैं कोतवाल। ऐसे में ये तो साफ़ हो गया शराब माफियाओं को संरक्षण तो है.
बिहार के कई ऐसे कोतवाल बने है जो ALTF टीम में रहते ट्रक पकड़ – पकड़ वरीय अधिकारी के नजर में हीरो बन गए. उसका रिवार्ड में उन्हें कोतवाल भी बना दिया गया. वही कोतवालों का पुलिस मुख्यालय समीक्षा करे तो बतौर कोतवाल शराब कितना बरामद किए तो सच्चाई सामने आ ही जाएगी। हैरत तो तब होता है जब आंकड़ा ये नजर आता है की थानेदारी मिलने के बाद ट्रक नजर ही नहीं आता है. जरूरत है ऐसे लोगों को सारण और गोपालगंज के तर्ज पर कार्रवाई के लिए चिन्हित किया जाए, नहीं तो जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा शराब मामले में सरकार पर सवाल खड़ा करते रहेगा।
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