मुजफ्फरपुर में नवरात्रि के मौके पर एक कुख्यात बदमाश के द्वारा दो दो घटना को अंजाम दिया गया, दोनों हत्याकांड के बाद पुलिस पकड़ से बाहर रहा, पुलिस के लिए वह बन गया था चुनौती।
एक घटना को अंजाम देने के बाद दूसरी घटना उसी थाना क्षेत्र के बॉर्डर वाले दूसरे थाना क्षेत्र के पॉस इलाके में कर दहशत फैला दिया था.

क्या सिर्फ कोतवाल कुर्सी से प्रेम ? नहीं देखते सीडी पार्ट टू, नहीं देखते दागी पंजी, नहीं करते रनिंग रजिस्टर का अवलोकन
आज के समय में कई ऐसे कोतवाल हैं जिन्हे अपने इलाके के शराब कारोबारियों का नाम की जानकारी थाना पदभार के साथ हो जाता है. वहीं थाना में पोस्टिंग पाने के कामयाब होने के बाद सबसे पहले सीडी पार्ट टू, के साथ दागी रजिस्टर में देखना है कौन अपराधी उनके क्षेत्र में है वह भी देखना मुनासिब नहीं समझते। दागी रजिस्टर में भी दो स्तर बटा हुआ है,
पहले स्तर में जो अपराधी सक्रिय है वह कहाँ है जेल में है या बाहर है, बाहर है तो उसके गतिविधि पर नजर रखना होता है, इसके लिए हर माह समीक्षा थाना के SHO द्वारा किया जाता है जो अपराध मुक्त थाना क्षेत्र रखना चाहते हैं.
दूसरा स्तर ये होता है कि जो अपराध को छोड़ चूका है पर दागी रजिस्टर में अपराधकर्मी का नाम अंकित है वैसे अपराधियों पर कम से कम तीन माह में उनका भी समीक्षा कोतवाल करते हैं. वर्तमान स्थिति में उक्त दागी की गतिविधि कोई नए अपराध के तरफ तो नहीं जा रहा.
आज के समय में ऐसे लोगों को देख ऐसा लगता है अपराध नियंत्रण के लिए ऐसे कोतवाल तो सक्रिय नहीं हीं लगते

मुजफ्फरपुर में थाना स्तर पर फरार और मोस्ट वांटेड अपराधी के लिए पुलिस सक्रिय नहीं !
बिहार के डीजीपी से लेकर मुजफ्फरपुर जिला पुलिस कप्तान अक्सर सन्देश देते रहते हैं की जेल से छूटे अपराधी और फरार अपराधी की गिरफ़्तारी के लिए कार्रवाई होती रहे, डीजीपी हों या एसएसपी उनके आदेश थाना स्तर पर आते – आते हवा होते दिख रहा है.
मुजफ्फरपुर में AK 47 से दो हत्या करने वाला पुलिस फाइल में फरार है , रंगदारी, हत्या ऐसे वारदात को अंजाम देने वाला मोस्ट वांटेड बदमाश कहाँ है ? इसकी जानकारी कोतवाल तक को नहीं है. समझा जा सकता है की दो – दो थाना क्षेत्र में AK 47 से ब्लास्ट मोड में हत्या की घटना को अंजाम देने वाले अपराधी के लिए पुलिस कितना सक्रिय है, SHO को जानकारी ही नहीं मोस्ट वांटेड कौन ? वहीं दूसरे थाना अध्यक्ष को जब कॉल किया गया तो सरकारी मोबाइल पर कॉल रिसीव ही नहीं किए,

मुशहरी थाना क्षेत्र के रोहुआ में हुआ था हत्या, कोतवाल बन गए पर बड़ी घटना की जानकारी नहीं
मुशहरी थाना क्षेत्र के रोहुआ में 2016 के नवरात्रि के दौरान अंजनी ठाकुर ने AK 47 से ट्रेवल कारोबारी पिंटू ठाकुर को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था, इसी थाना क्षेत्र में सरकारी कार्य करा रहे एक ठेकदार से रंगदारी का डिमांड किया गया था, रंगदारी मामले में भी मुशहरी थाना में ही FIR दर्ज किया गया था.
आज की तारीख में इलाके का मोस्ट वांटेड अपराधी कहाँ है इसकी जानकारी तो दूर, पूर्व में हुए बड़े हत्या और रंगदारी की घटना की भी जानकारी वर्तमान कोतवाल को नहीं है, थानेदार बनते इलाके की जानकारी और थाना के लिस्टेड अपराधी की जानकारी कोतवाल को जुटाना है, लेकिन मुशहरी SHO को ऐसी को जानकारी नहीं होना उनके थानेदारी के परिपक्ता पर सवाल खड़ा कर रहा है.

मिठनपुरा थाना क्षेत्र में भी किया था AK 47 से हत्या – जहाँ चलता AK 47 वहां के कोतवाल को सरकारी मोबाइल से परहेज
VC लेन में अतुल्य शाही हत्याकांड में अग्रतर कार्रवाई की जानकारी के लिए मिठनपुरा SHO से जब बात करने की कोशिश किया गया तो सरकारी मोबाइल रिसीव करने से परहेज करते दिखे।
मिठनपुरा थाना क्षेत्र में 2017 चैत्र नवरात्रि के मौके पर अतुल्य शाही की हत्या AK 47 से किया गया था. उक्त काण्ड में मुख्य शूटर छोड़ कर संदेह के आधार पर करीब डेढ़ दर्जन लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, एक एक कर सभी को जेल भेजा गया पर मुख्य आरोपी पुलिस पकड़ में नहीं आया, आज भी हाल वही दिख रहा मिठनपुरा थाना को थाना की पुलिस टीम न तब सक्रिय थी और न आज.

IPS अधिकारी करें तो क्या करें ?
जिला में डीआईजी, एसएसपी, सिटी एसपी, ग्रामीण एसपी, एएसपी टाउन सभी आईपीएस अधिकारी है, इतने आईपीएस के मार्गदर्शन में कोतवाल चाहें तो बेहतर पुलिसिंग के क्षेत्र में बेहतर से बेहतर कार्य कर सकते हैं. वहीं मुजफ्फरपुर के शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र तक कुछ ऐसे कोतवाल हैं जिनपर अक्सर सवाल उठते रहते हैं,
कहीं माटी ठेकेदार से उगाही का आरोप लगता है तो कहीं बेरोक टोक शराब तो बिकता ही है उत्तर बिहार का स्मैक का गढ़ के रूप में इलाका प्रचलित है, यह वही इलाका हैं जहाँ AK 47 से मोतिहारी के व्यक्ति की हत्या, अतुल्य शाही की हत्या, जेल अधिकारी की हत्या ऑन ड्यूटी, ऐसे वारदात सैकड़ो हो चुके, फिर भी थाना स्तर पर गंभीर कितना है SHO ये समझा जा सकता है, अधिकारी करें तो क्या करें ये सवाल है.
कोतवाल के हीलाहवाली के बीच चर्चाओं पर गौर करें तो अंजनी ठाकुर के बारे में कई चर्चा आम है, कोई कहता है कि दिल्ली शिफ्ट हो गया तो लोग अलग ही कुछ चर्चा करते हैं.
ऐसे में पुलिस के लिए अंजनी ठाकुर आज भी एक पहेली बना है