मुजफ्फरपुर में अपहरण वह भी बच्ची और युवती का हुआ पर पुलिस के सुस्त कार्रवाई में अनुसंधान का दिशा भटक गया. जिस वजह से पुलिस के हाथ खाली के खाली रह गए. दशकों पूर्व के कई युवक, कारोबारी अपहरण मामले में भी पुलिस यूँ ही खाली के खाली रह गयी, दर्जनों मामले हैं, चर्चा करें तो धर्मशाला चौक के दवा कारोबारी का पुत्र, अहियापुर के प्लाईवुड कारोबारी प्रमुख रहे.
REPORT : ARUN SRIVASTAVA
नवरुणा, ख़ुशी और यशी मामले में भी पुलिस पर लगते रहे आरोप, तुरंत तुरंत कांड के आइओ का बदलाव और हर मामले में थाना स्तर पर लापरवाही पर लापरवाही देखने को पब्लिक को मिलती रही, हद तो ये है किसी भी युवती के गायब होने पर पुलिस प्रथम दृष्टया मामला प्रेम प्रशंग से जोड़ कर देखते हुए हीलाहवाली दिखती है कार्रवाई में. अक्सर आरोप ये भी लगते हैं, प्रेमप्रशंग मामले में अक्सर गाड़ी खर्चा के बगैर थाना स्तर से टावर लोकेशन के आधार पर या फिर परिजन द्वारा बताए गए संदिग्ध स्थान के लिए पुलिस प्रस्थान नहीं करती।

नवरूणा अपहरण हत्या मामले में रहा खाली हाथ
12 वर्ष पूर्व नवरूणा अपहरण मामले में कांड के आइओ को कोतवाल ने बदल दिया। घर के पास नवरुणा के कथित बॉडी अवशेष में से एक अंग को ले जाते दिखे तत्कालीन एसआई नगर थाना। मामला सीआईडी के पास गया सीआईडी खाली हाथ रह गयी. मामला कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई तक पहुंचा लम्बी जांच की कड़ी के बाद CBI के हाथ भी खाली रहे. आज भी नवरूणा अपहरण हत्या कांड में दोषी कौन ? जनता के साथ परिजन के बीच सवाल बना रह गया.

ख़ुशी अपहरण कांड – एसएसपी को दर्द पर कोतवाल मस्त
ख़ुशी मामले में तत्कालीन पुलिस कप्तान बेहद दर्द भरे अंदाज में अपने विदाई समारोह के सम्बोधन में बोले थे की अफसोश है की ख़ुशी मामले में अभी तक उपलब्धि नहीं मिली।
ख़ुशी आज भी जिस हाल में जैसे जिस स्थिति में होगी यही सवाल होगा।
“पुलिच अंकल आप नटली पुलिच वाले हो. हमतो नहीं खोज सके, अंकल मोछू अंकल थानेदार अंकल आप कबाड़ तक के दूकान में आते जाते थे. क्या क्या करते थे खुद के लिए. हमतो नहीं खोज सके. कबाड़ दूकान जहाँ दारु बाद में दुछले अंटल पकड़े थे”
ख़ुशी के लापता अपहरण मामले में पुलिस के लिए शर्मसार करने वाली बात ये रही की मासूम से बच्ची को तलाश नहीं सकी पुलिस टीम, हद तो ये है मामला फिर सीबीआई के पास है और अब तक सीबीआई भी खाली हाथ.

यशी मामले में पुलिस के I.O हुए खामोश
यशी मामले में शुरुआत से ही पुलिस का इन्वेस्टीगेशन की दिशा बदलती रही, महिला I.O बना दी गई, ठीक है. पर अपहरण ऐसे मामले में अनुसंधान का क्या अनुभव था, जवाब होगा जीरो, ऐसे में फर्स्ट इन्वेस्टीगेशन ही प्रभावित हुआ फिर I.O पर I.O बदलते चले गए, मामला CID में गया, CID टीम भी पुलिस जांच को ही आगे बढ़ा कर जांच किया, हाथ खाली। अब देखना दिलचस्प होगा की सीबीआई के हाथ पहले के कांडो की तरह खाली रहते है या फिर सही दिशा में अनुसंधान आगे बढ़ाते हुए यशी को ढूंढ पाती है या नहीं।