मुजफ्फरपुर स्वर्णकार के पास फायरिंग कर बना अपराधी – पुलिस से सामना हुआ तो बन गया स्वर्गीय

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मुजफ्फरपुर में अपराधियों को संरक्षण कोई नहीं बात नहीं है. कहीं पुलिस मुखबिर बन अपराधी देता अपराध की घटना को अंजाम तो कभी उजला कॉलर वाले के संरक्षण में करता अपराध। ऐसा ही एक अपराधी था जो मुशहरी थाना क्षेत्र में एक स्वर्ण आभूषण कारोबारी के नजर में अपना दहशत कायम करने के लिए दुकान के सामने फायरिंग कर चर्चा में आया था. मकसद था रंगदारी, रंगदारी लेने में कामयाब हुआ या नहीं ये तो अलग बात है लेकिन वही अपराधी को एक नेता जी का संरक्षण मिला और फिर रजिस्ट्री कार्यालय से अच्छी वसूली होने लगी. वसूली का रकम का बटवारा भी कहाँ कहाँ होता होगा समझा जा सकता है. इस मामले के साथ एक हत्या करने गया तो टारगेट के घर के महिला को ही गोली मार फरार हो गया.

ज्यादा दिन नहीं चला अपराधकर्मी का राज, नेता जी भी रहे अवाक जब हुआ एनकाउंटर 
मुजफ्फरपुर में समय था रत्न संजय के कार्यकाल का, रत्न संजय जिला में एसपी हुआ करते थे. उस दौरान अपराधी तो दूर सफ़ेद कॉलर रख संरक्षण देने वाले भी पुलिस के खौफ में रहते थे.
भारत भूषण जैसे रंगदारी लेता था वैसे ही तर्ज पर मुशहरी अंचल कार्यालय के एक पदाधिकारी से रंगदारी का कर दिया डिमांड, रंगदारी वह भी राज्य कर्मी से काफी चुनौती था पुलिस के लिए.
रत्न संजय ने एक बैठक बुलाया, बैठक में तत्कालीन तेज तर्रार दरोगा की टीम पहुंची।
अमरेंद्र झा, राजेश शर्मा, अत्तनू दत्ता एक अन्य पहुंचे। बैठक में निर्णय लिया गया की जल्द से जल्द गिरफ्तार करना है.
शबाब और शराब के साथ हाल्फ बॉईल अण्डा का स्वाद के बीच चलती रही गोली 
टीम को गुप्त सूचना मिली के एक तवायफ के आवास पर भारत भूषण पहुंचा हुआ है मस्ती करने।
टीम आनन फानन में पहुंची तो जानकारी मिली की तवायफ के कोठे पर नहीं ये तवायफ का निजी आवास पर बैठा हुआ है.
आमतौर पर निजी आवास पर तवायफ अपने पुराने भरोसे के ग्राहक को ही ले जाती है. ऐसे में ये तो पक्का हो गया की भारत भूषण फलां गली के उक्त मकान में है.
पुलिस टीम पहुँचती है और फिर क्या भारत भूषण खुद को घिरा देख फायरिंग खोलता है. इसी बीच पुलिस टीम भी अपने आत्मरक्षार्थ अपनी तरफ से भी पिस्टल से फायरिंग शुरू करती है. फायरिंग की ये वारदात दिन के उजाले में होती रही. चारो तरफ लोग कुछ समझ पाते तब तक भीड़ जमा हो गयी.
इस क्रॉस फायरिंग में भारत भूषण की मौत हो गयी. पुलिस टीम में शामिल तत्कालीन एसआई राजेश शर्मा को भी गोली लगी थी जब उन्हें बाहर निकाला गया तब भीड़ समझ गयी की पुलिस और अपराधी के बीच मुठभेड़ हुआ है.
इस मुठभेड़ के बाद मुशहरी इलाका ही नहीं मुजफ्फरपुर शहर काफी दिन तक शांत रखा गया था
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