बिहार के बड़े सोना लूटेरों के गिरोह में काम कर चुके युवक अब अपना गैंग बना छोटे छोटे दुकानदारों को बना रहे हैं निशाना।
पुलिस सूत्रों की माने तो ये छोटे दुकानदार से राहजनी या फिर दुकान के अंदर लूट डकैती करने वाले अपराधकर्मी अपने आका से अलग हो छोटा – छोटा गिरोह अपना बना कर रहे है.
बिहार के बड़े लूटेरों में नालंदा, गया, समस्तीपुर और वैशाली के साथ छपरा जिला चर्चाओं में अक्सर रहा है. इन जिलों के साथ मुजफ्फरपुर में कुछ पुलिस फाइल में दर्ज अपराधी है जो सोना लूट के घटना को अंजाम देते है तो कुछ उनके गुर्गे हैं. गिरोह का मुख्य अपराधी जो गिरोह का आका होता है उसके द्वारा नए नए लड़को का अलग अलग नाम रखे जाते हैं. छोटू, पप्पू, ख़ास बॉटम उसे कहते है जो राइट हैण्ड होता है आका का. एक पुलिस पदाधिकारी जब गिरफ्तार अपराधी से जेल में पूछ ताछ करने गए तो उक्त अपराधी द्वारा एक कांड के बारे में जानकारी दिया गया की वह चुटपुटिया है. चुटपुटिया यानी गिरोह का निचले स्तर का अपराधी जो गिरोह छोड़ अलग हो खुद लूटपाट करता है
कौन है चुटपुटिया लुटेरे ?
बड़े गिरोह के द्वारा जब कड़ोरो का सोना लूट के घटना को अंजाम दिया जाता है तो नए लड़को को ट्रेनिंग दे कर घटना में शामिल करता संगठित गिरोह। नए लड़को में वैसे अपराधकर्मी भी शामिल होता है जो किसी छिनतई या अन्य लूट में जेल गया हो, बिहार के कई जिलों के जेल में बड़े संगठित गिरोह के आका बंद है. जेल के अंदर हीं योजना के अनुसार ऐसे लड़को को चिन्हित कर बड़े गिरोह अपना टास्क देते है. महुआ में सोना लूट की बात हो या फिर समस्तीपुर बेगूसराय या दरभंगा या फिर मुजफ्फरपुर कहीं न कहीं से पुराने गिरोह से तार जुड़ जाते हैं. बड़े गिरोह बिहार के बाहर अन्य राज्यों सहित नेपाल में अपराध की घटना को अंजाम देते हैं

बड़े गिरोह से क्यों और कैसे अलग हो बनता चुटपुटिया गिरोह
बड़े गिरोह से अलग होने का मुख्य वजह ये होता है की लूटा गया सोना, चांदी, हिरा का वास्तविक जानकारी नए लड़को को नहीं होती। लूटा गया सोना चांदी गिरोह का आका या फिर आका का राइट हैण्ड के पास होता है. घटना के बाद कम मात्रा में नए लड़को को हिस्से का एक तय राशि या फिर लूटा गया सामान से कुछ अंश दे दिया जाता है.
गुर्गों को मिला हिस्सा से संतोष नहीं होता।
घटना के बाद ख़बरों में जब वास्तविक लूट की जानकारी इन अपराधकर्मियों को होता तो गिरोह के बागी हो जाते है. ड़ा न सही छोटा जोखिम उठा ये कुछ लड़को को मिला कर अपना गिरोह बनाने लगते है, शुरुआत में संख्या तीन चार की होती और धीरे धीरे ये गिरोह बड़ा बन जाता है. ऐसे चुटपुटिया गिरोह को चिन्हित करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जा रही है

पुलिस सूत्रों की मानें तो समस्तीपुर और वैशाली में कई नए गिरोह बना जो कई बार पुलिस के हत्थे चढ़ा तो पूछ – ताछ में ये बातें सामने आयी की यही लूटेरे एक दूसरे बड़े गिरोह के गुर्गे हुआ करते थे और फिर जेल से छूटने के बाद अपना गिरोह बना लिया।
बाहरी सूत्रों की माने तो ऐसे ही बड़े गिरोह के शिकार कुछ ऐसे लोग वैशाली जिले में हुए जो अन्य कारोबार में सफ़ेद कॉलर में थे लेकिन अंदर ही अंदर लूट का सोना चांदी के खरीदार थे या उस लूट के माल के केयर टेकर। मुजफ्फरपुर समस्तीपुर बेगूसराय वैशाली जिले में जेल में बंद कुछ लूटेरों का जेल के अंदर से ही नापाक इरादे पिछले तीन माह से चर्चा में है अपराध को नजदीक से समझने वालों के बीच. ऐसे में इन चर्चाओं के बीच मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र में हुए लूट की घटना में खुले चेहरे के साथ घटना को अंजाम देने वाला बाहरी जिला का ही माना जा रहा है. फिलवक्त पुलिस जांच कर रही है अब देखना दिलचस्प होगा कब तक मुजफ्फरपुर गोल्ड लूट का खुलासा होता है
Report : Arun Srivastava
PMB NEWS