“बोली की गोली” में आज हाल आदर्श कहे जाने वाले थाना की जहाँ कोई व्यक्ति की गिरफ़्तारी के साथ घंटो बंद रहा हाजत में एक चाभी, चाभी की गिरफ़्तारी की एंट्री बेसक हाजत पंजी ने दर्ज नहीं होगा, उसकी रिहारी के लिए नगदी मुचलका जो पॉकेट में जाता है उसकी कीमत लगी, और फिर 800 की नगदी चमचमाती नोटों के साथ हाजत से रिहा किया गया चाभी को. हाजत से रिहाई के वक़्त चाभी मानो ये सोच रहा था जिसके भरोसा पर 40 से 72 लोगों की जिंदगी चलती है, उसे आदर्श कहे जाने वाले थाना से रिहाई होने के लिए चुकानी पर गयी कीमत

चाभी को गिरफ्तार कर वर्दी वाले गदगद हो गए
मामला है मुजफ्फरपुर के उस आदर्श क्षेत्र का जहां क्षेत्र वाले साहब से ले कर बड़े साहब का भी कार्यालय है, हद तो ये है जहाँ चाभी की रिहाई नीलामी के साथ हुई उसके चंद कदम के दुरी पर एक मझौले साहब भी हैं, लेकिन साहब की नजर तो दूर तीसरी आँख के राडार वाले भवन पर नजर नहीं जाती. आदर्श क्षेत्र वाले भवन में कुर्सी धारी बेसक नहीं किए होंगे खेल, लेकिन उनके चेंबर के सामने जो कैश वाला ‘सब कार्यालय’ है उसके हेड बगैर अनुमति के एक चिट्ठी नहीं बढ़ाते तो चाभी रिहाई कैसे कर सकते

ड्राइवर शराब के नशे में हुआ गिरफ्तार ‘चाभी रिहा
शराब बंदी मामले में एक गाड़ी ड्राइवर की गिरफ़्तारी होती है, दीवान रोड में एक विवाह भवन में कार्यक्रम चल रहा था, पुलिस टीम पहुंच शराब के नशे में चालक को गिरफ्तार किया, उसके साथ गाड़ी की चाभी को भी गिरफ्तार कर हाजत में बंद कर दिया गया, चाभी के लिए लगने लगी कीमत, लाजमी है चाभी तो शराब के नशे में नहीं ही रहा होगा, कीमत तय हुई मुंशी जी और गस्ती के गाड़ी वालों के बीच और फिर रिहाई हुई चाभी की