बिहार में रूटीन ट्रांसफर का समय करीब आ रहा है वहीं कार्यकाल पूर्ण कर चुके जिलों के पुलिस कप्तान के ट्रांसफर की भी चर्चा है .. हाल के दिनों में जब बिहार में सरकार का स्वरूप बदला तो विपक्ष के तरफ से हर छोटी बड़ी घटना के बाद ये आरोप लगने लगे की कानून व्यवस्था चौपट हो गयी है .. हत्या लूट से दहल रहा है बिहार … जंगलराज पार्ट टू के नाम से भी आरोप लगाए जाने लगे … निश्चित ही बिहार के राजधानी सहित कई जिलों में अपराध की घटना होती रहती है ऐसे में बैठे बैठे विपक्ष को मुद्दा मिलना लाजमी है

ऐसे जिलों में बड़ी चुनौती
बिहार के कुछ ऐसे जिले हैं जहाँ लूट, हत्या, लूट के दौरान हत्या का डिटेक्शन या शराब के खिलाफ अभियान में सीधे रूप से जिला के पुलिस कप्तान की भूमिका होती है .. महत्वपूर्ण लीड के साथ पुलिस कप्तान अपने टीम से छापेमारी और गिरफ़्तारी करवाते है … जहाँ कप्तान की भूमिका अपराध के खिलाफ प्रमुख रूप से है वहां कई कोतवाल तो ऐसे हैं जिन्हे खुद इनपुट नहीं रहता कि उनके क्षेत्र में अपराध की घटना घटित हो सकती है .. वरीय अधिकारी के निर्देश पर कार्रवाई कर तस्वीरों में उपलब्धि के बीच वैसे कोतवाल सामने आते है … ऐसे जिलों में नए कप्तानों के लिए बड़ी चुनौती होगी … लाजमी है थाना स्तर से हीलाहवाली के बीच नए कप्तान को जब तक कुछ समझने में समय लगेगा तब तक ग्राफ अपराध का विपक्ष को बड़ा मुद्दा दे देगा

बिहार के कई थानों में हो चुकी है छापेमारी
नए एसएसपी या एसपी को उन जिलों में भी चुनौती मिल सकती है जिन जिलों में थाना में आईपीएस लेवल के अधिकारी छापेमारी करने थाना पर ही पहुंचे हुए है …कुछ थाना तो ऐसा भी है जहाँ पटना मुख्यालय के साथ जिला से आईजी से ले कर एसएसपी की मौजूदगी में थाना अध्यक्ष के कक्ष का ताला तोड़ छापेमारी हुई … कई थाना ऐसा है पूर्व के कार्रवाई के बाद दूसरे कोतवाल को जब जवाबदेही दी गई तो बेहतर पुलिसिंग के साथ निभा दिया, और फिर उस कार्यकाल के बाद ऐसे भी लोग पदस्थापित हो गए जो पुलिसिंग की जगह असंसदीय भाषा का शब्दकोश ले कर थानेदारी करते हुए अपना विकास करते रहे ….
बिहार में चर्चाओं के बीच माना जा रहा है जल्द ही आईपीएस लेवल के डेढ़ दर्जन से ज्यादा अधिकारी को नई जिम्मेदारी दी जाएगी, उसके बाद फिर बड़े पैमाने पर आईपीएस और डीएसपी का ट्रांसफर होना है … ट्रांसफर के साथ नयी चुनौतियों के बीच अपराध पर लगाम लगाना बड़ी जिम्मेदारी होगी