बिहार पुलिस में किस्मत जब साथ देती है तो मेहरबान और भावुक अधिकारीयों की कृपा से मिल जाती प्रमोशन ….. पद से पद बढ़ते जाते हैं, यक़ीनन आप को भरोसा नहीं हो रहा होगा “बोली की गोली” व्यंग कॉलम में ले कर आए हैं ऐसे हीं किस्मत वाले दरोगाओं की कहानी .. 1994 बैच या 2009 बैच के इंस्पेक्टर बिहार के जिलों में पदस्थापित हैं … लेकिन विडंबना हैं कि 2009 बैच के दरोगा जी को जिलों में प्रमोशन मिला हुआ है … अदृश्य प्रमोशन पा कर कुछ दरोगा इतने गदगद हो गए हैं कि मानो खुद इलाके के आईपीएस हो गए … गाली में पीएचडी प्राप्त भी इसमें दरोगा जी कई हैं, जिन्हे इस बात का घमंड है की साहब के करीबी हैं … करीबी का फयदा भी उठा कर कुर्सी जो पा लिए हैं दरोगा, इंस्पेक्टर का

बिहार पुलिस मुख्यालय प्रमोशन दे या न दे जिलों में ऐसे कई दरोगा जी मिल जाएंगे जिन्हे इंस्पेक्टर वाली कुर्सी पर बगैर प्रमोशन के विराजमान होने का सौभाग्य प्राप्त होता जा रहा है … वहीं 1994 बैच और 2009 बैच के इंस्पेक्टर किसी कार्रवाई के शिकार हो कर पुलिस लाइन में लौ एंड आर्डर के लिए लाठी ले कर घूम रहे हैं …. वहीं कुछ को पुलिस कार्यालय में फाइलों के बीच सिमटा दिया गया है .. कुछ ऐसे 1994 बैच इंस्पेक्टर है जो पूर्व में बड़े बड़े सजा भुगत चुके हैं विभागीय और कानूनी … वह प्रमोशन पाने के लिए कोतवाल की कुर्सी से भागते हुए अक्सर थानेदारी से दूर रहने के लिए गुहार लगाते रहते हैं .. कुछ अन्य कई विभाग का प्रभार में रहते हैं लेकिन थानेदारी से खौफजदा रहते हैं … बिहार है, जी हाँ ये बिहार है यहाँ पल भर में सरकार बदल जाती है .. इधर से उधर होते रहते हैं नेता तो भला पुलिस विभाग में प्रमोशन के बगैर प्रमोशन क्यों नहीं