“बोली की गोली” ये थाना है या कबूतरखाना ? मौत को आमंत्रण ‘ऊपर से Potty

pmbnewsweb
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बिहार में पुलिस विभाग को आधुनिक बनाने के लिए सरकार स्तर से कई फंड दिए जाते हैं  … लेकिन उसी बिहार सरकार के थाना में ऊपर से मल (पॉटी) करते हैं पक्षी   ….  थाना में जाने वाले आम लोग तो दूर वर्दी वाले भी होते हैं मल मूत्र के शिकार  … उनकी वर्दी से ले कर चेहरे पर अक्सर पॉटी आ ही जाता है  .. … इस थाना को देख आगंतुक यही समझते हैं कि किसी कबूतर खाने में थाना चल रहा है  … बात सिर्फ मल मूत्र की ही नहीं है यहाँ आने वाले पब्लिक या फिर खुद पुलिस कर्मी कभी भी जान से हाथ धो सकते हैं  … हद तो ये है इसी थाना में कभी बिहार के डीजीपी तक का आगमन हुआ था  .. इस थाना में अक्सर जिला के पुलिस कप्तान एसएसपी हो या क्षेत्र के डीएसपी सभी का आगमन होता है लेकिन किसी की नजर इस मौत को आमंत्रण देने वाले यमराज पर नहीं जाता
कबूतर खाने में थाना 
जेल रोड में चल रहे वर्तमान मिठनपुरा थाना का हाल ये है कि अंग्रेज के समय का बना इस भवन में पांच दशक से कबूतर ने अपना आशियाना बना रखा है  … हाल में कुछ लोग क्षेत्र के सिरिस्ता में पहुंचे  .. सभी अपने कार्य से पहुंचे हुए थे  .. इस बीच ऊपर उड़ते कबूतर कई बार मल त्याग किए  .. मल मूत्र के शिकार आगंतुक होते रहे  . हद तो ये है दीवाल से सटे रखे थाना के महत्वपूर्ण कागजात भी मल मूत्र से रंगीन हो चले हैं  … नए भवन के निर्माण के बावजूद थाना को कबूतर खाने में रखने के पीछे वजह शायद की पुलिसिया टोटका माना जा रहा है
थाना में मौत का आमंत्रण 
कबूतर वाले थाना के थाना अध्यक्ष के कक्ष के सामने बिजली के तार ऐसे फैले हुए हैं जिससे कभी भी कोई बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है  … टोटका में वास्तु शास्त्र के थाना अध्यक्ष की कुर्सी जिस रुख से रखी गयी है वह तत्कालीन कोतवाल सुधाकर नाथ के समय से ही  … कोतवाल की नजर अक्सर उसी बिजली के फैले तार के जाल पर होती है  … लेकिन थाना स्तर से कभी भी इस तार के मरम्मत का पहल नहीं किया गया  … शायद इंतजार है किसी बड़ी घटना की
मुजफ्फरपुर में ये है अजूबा थाना जिसका तीन भवन 
मुजफ्फरपुर का मिठनपुरा थाना अपने आप में अजूबा है  .. इस थाना के नाम पर तीन भवन है  .. आप जान कर  हैरान हो जाएंगे कि एक ही नाम का तीन थाना  … पहला थाना हाथी चौक पर जिला स्कूल के क़्वार्टर में है  … इससे पूर्व ये थाना पानी टंकी चौक पर दो कमरे में चलता था  .. तत्कालीन इंस्पेक्टर दीपक कुमार अम्बष्ट के कार्यकाल में थाना हाथी चौक शिफ्ट हुआ जिला स्कूल के भवन में  … तत्कालीन कोतवाल सुधाकर नाथ के कार्यकाल में रातों रात चंदवारा नाका वाले भवन में जेल गेट के पास हाई कोर्ट के निर्देश पर शिफ्ट किया गया  . लेकिन वर्दी वाले हैं जनाब कोतवाल और सिरिस्ता चला गया लेकिन हाजत आज भी वही रह गया  … मालखाना वहीँ रह गया  .. हद तो ये है यहाँ के मालखाना से कई चोरी हुई  …  दरोगा जी का पिस्टल तक चोरी गया  … यहाँ पुलिस वाले भी रहते है और हाजत होने से कई खेल भी ऐसे होते हैं जिसकी जानकारी कोतवाल को भी नहीं होती  … नया भवन भी बना वहां भी पुलिस वाले रहते  … फरियादी को कांड के अनुसंधान के नाम पर आइओ एकांत वाले काम के लिए अक्सर वहां बुलाते हैं
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