उत्तर बिहार में इन दिनों एक जिला में पुलिस विभाग में जबरदस्त भय दिखने लगा है कोतवालों में .. कारण साफ़ है कार्रवाई का डर ….डर लाजमी है जिनका दरोगा से इंस्पेक्टर में और इंस्पेक्टर से डीएसपी ने प्रमोशन होने को है उन्हें डर सताने लगा है कहीं सस्पेंड हुए अपने कारगुजारी से तो प्रोसेडिंग के दौरान नहीं मिल सकता वरीयता लिस्ट में जगह …. इन्हें डर रहता है कि कहीं कंडक्टिंग अफसर के द्वारा जारी मंतव्य में दोषी करार न दिया जाए .. दोषी हुए तो प्रमोशन का सपना अधूरा रह जाएगा

ऐसा नहीं है उक्त जिला में थानेदारी फोबिया से हाल के कार्रवाई से कुछ लोग ग्रसित हुए है … एक ऐसे भी है उस जिला में पहले से जो दरोगा वाले थाना से ले कर इंस्पेक्टर वाले थाना में पांच बार थानेदारी कर चुके हैं लेकिन थानेदारी के दौरान होते कार्रवाई के फोबिया से ऐसे ग्रसित हुए की थानेदारी से भागते नजर आते हैं … सिर्फ उत्तर बिहार में बात करें को कई दरोगा और इंस्पेक्टर सस्पेंड होने के बाद निलंबन मुक्त तो हो गए लेकिन प्रोसेडिंग क्लियर करवाने की पहल नहीं करते डर ये रहता है कहीं फिर से थानेदारी न मिल जाए … सूत्रों की माने तो कार्रवाई फोबिया से ग्रसित 16 प्रखंड वाले जिला के थानेदार में से कुछ चेहरे जल्द लाइन क्लोज हो थानेदारी की कुर्सी छोड़ जिला पुलिस लाइन में योगदान देने के जुगाड़ में लगे हैं