“बोली की गोली” बिहार पुलिस विभाग में पर गया अकाल’ किस लिए ? तकियाकलाम पर डिपेंड पुलिस ‘आरोपी को राहत

pmbnewsweb
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बिहार पुलिस में इन दिनों अकाल पर गया है  .. में पढ़ कर अटपटा सा लग रहा होगा  … ‘बोली के गोली’ में हम आप को उस अकाल की देते हैं जानकारी  …
उत्तर बिहार के एक जिला में आज कल अकाल पर गया है  .. इस अकाल के चपेट में कई थाना है लेकिन लाल कोठी वाले इलाके वाले थाना में तो हद ही कर दिया है  .. अकाल का वजह ये है हर बरामदगी में अक्सर ये नजर आ रहा है की अपराधी के खौफ या शराब माफिया के डर से स्थानीय स्वतंत्र गवाह नहीं मिले इस लिए फ़्ला फ़्ला पुलिस पदाधिकारी या पुलिस कर्मी या सैफ जवान को गवाह बनाया जा रहा है
माजरा ये है बिहार पुलिस ही नहीं हर प्रदेश में गिरफ़्तारी का स्थान में टेक्नीकल तौर पर बदलाव होता है   … ये माननीय कोर्ट के सामने भी आता रहा है वही पत्रकार और पुलिस विभाग के साथ आम लोग भी जानते है इस खेल को   … अक्सर गिरफ़्तारी और बरामदगी के बीच टेक्निकल कार्रवाई के दौरान न तो आम लोग होते हैं न ही स्वतंत्र गवाह ऐसे खेल में खुद को गवाह बनाएंगे   .. इस लिए वैसे थानों में जहाँ इंस्पेक्टर है कोतवाल वहां तो कंप्यूटर में जो फॉर्मेट तैयार है वही री राइट कर दिया जाता है  … जैसे : पांच लोग थे तीन फरार दो पकड़े गए जामातलाशी में में ये बरामद हुआ  .. कोई स्वतंत्र गवाह नहीं होने से पुलिस वालों को गवाह बनवाया  … आरोपी को जब्ती सूचि से कोई आपत्ति नहीं है  ….
पुलिस के इस तकियाकलाम से अपराधियों को आगे मिल रही राहत  …  अतिविश्वस्त पुलिस सूत्रों की माने तो कई बार कोतवाल से ऊपर के पुलिस अफसर कोतवालों को इस कार्य प्रणाली में बदलाव के लिए निर्देशित भी किए लेकिन कोतवाल हैं जो बाज नहीं आ रहे ऐसे में अब देखना दिलचस्प है उपलब्धि के लिए तकियाकलाम की लिस्ट और कितना बढ़ता है  … 
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