“बोली की गोली” लालटेन युग में उत्तर बिहार का ये थाना – शीशा और फीता बत्ती की जगह लिया …..?

pmbnewsweb
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उत्तर बिहार में हो रहे कारनामों पर अगर फिल्म बने तो शायद फिल्म का The End आने में चौबीस घंटा भी कम पर जाए   .. आप सभी जानते होंगे और परिचित होंगे लालटेन से  … दिल्ली के हों या उड़ीसा के बिहार के हों या यूपी के हर राज्य में गरीब आमिर सभी के घरों में बिजली कट  जाने के बाद लालटेन का प्रयोग होता था  … ग्रामीण इलाके में खूंटी से लटकता लालटेन एक अलग दृश्य प्रज्वलित करता था  … हर घर में लालटेन का एक्स्ट्रा शीशा और बत्ती जिसे फीता भी कहते हैं रहता था  … कभी शीशा फुट गया या कभी तेल ख़त्म होने पर बत्ती जल गयी तो उसे बदलने के लिए
शीशा और बत्ती की जगह एक थाना ऐसा है जहाँ पुड़िया और टेट्रापैक काठ के अलमारी पर या फिर टूटे फूटे भवन के दीवाल से लगा छड़ के सहारे जो काठ के तख्ते हैं उन पर दिख जाएगा कभी कभी  … ऊपर कबूतर नीचे खेल कबूतर खाना ऊपर है लेकिन नीचे चल रहे खेल से ऐसा नहीं कोई अवगत नहीं है लेकिन कबूतर बड़ा काम का है  … कबूतर के नजरों से कुछ नहीं बचता   …कबूतर जा कबूतर जा वाले गाने के लाइन के साथ लोग अब ये गुनगुनाने में व्यस्त हैं व्यवस्था जा व्यवस्था जा  .. बिगड़ी व्यवस्था में सब कुछ अंडर कंट्रोल है   ..
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