“बोली की गोली” में एक और सच्चाई ले कर आए हैं … सच्चाई पर ख़ामोशी हावी रहेगी फिर भी उजागर जो कर रहें हैं मामले को, वह एक फिल्म के तर्ज पर है …
फिल्म अभिनेता अजय देवगन की एक फिल्म आयी थी जिसमे अजय देवगन की मौत फिल्माया गया था .. इस फिल्म में एक गाड़ी थी जो अपने स्वामी के मौत का बदला लेने के लिए एक एक को चुन चुन कर मारती थी … फिल्म Taarzan The Wonder Car .. उत्तर बिहार में इन दिनों चल रही सुशासन वाली पुलिस विभाग में इतना खेल चलता है जिस पर स्क्रिप्ट तैयार हो तो पांच घंटे की फिल्म भी छोटी पर जाए …

Taarzan The Wonder Car फिल्म की कहानी के तर्ज पर थाना में जब्त शराब मामले में उजला बोलेरो निकलता है .. करीब करीब प्रति दिन अहले सुबह 4 बजे ये गाड़ी मालखाना से निकल जाती है … दिन के आठ या 9 बजे सुबह तक वापस मालखाना में पहुँच जाती है .. यह कोई रूह भूत प्रेत नहीं ले कर निकलता है … थाना के पूर्व और वर्तमान निजी चालक और कुछ और सवार होते हैं .. हथियार भी होता है लेकिन काला कलर वाला पिस्टल प्लास्टिक का .. एनएच किनारे पुराने वाले नाम के सड़क पर प्रवेश करता है … और फिर ट्रक से चलता है खेल … मानव के रूप में तैनात भूत प्रेत बन जाते हैं DTO तो कभी RTO तो हद तब होती है कभी कभी ALTF भी … ये हाल उस थाना का है जिस इलाके में युवा कर्मठ डीएसपी हैं … अनुभवी वृद्ध सर्किल इंस्पेक्टर और बड़े हाकिम वे हैं जो कोरोना पीड़ित होते हुए भी जिला में अपराध नियंत्रण में जुटे रहते थे ..
खेल और है अगले बार पढ़ें कहाँ जमती है महफ़िल …