“बोली की गोली” में आज बात होगी उत्तर बिहार के दो जिलों को जोड़ने वाले एनएच किनारे कुछ दुरी पर चल रहे थाना में ‘मुखे कानून छ’ … रंग रोगन के साथ आवास में प्रवेश हुआ जहां थिनर की खुशबू नहीं आयी थी …यूरोप में लैटिन में लिखी एक पुस्तक मध्यकालीन व्यंग्य का महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है, जिसमे व्यवस्था का मजाक उड़ाना कहा जाता है … आज भी व्यंग्य के शब्दों को वही सम्मान मिलता है … हालात आज ऐसे हो गए हैं कि उत्तर बिहार के एक थाना में ब्लॉक कर दिया जाता है मोबाइल पर नंबर …

उस जिले का हाल है जहाँ के पुलिस कप्तान रात में कभी भी कॉल मोबाइल पर रिसीव कर लिया करते हैं … कप्तान भी वैसे जो दिन रात एक कर अपराध नियंत्रण में लगे रहते हैं … विदेशी पिस्टल ग्लोक पिस्टल की सूचना पर कप्तान खुद लीड करते हुए बरामद कर लेते हैं … उक्त जिला के कोतवाल का ‘मुखे कानून छ’ के तर्ज पर थाना चला रहे हैं … आम लोग की बात तो दूर पत्रकार का मोबाइल नंबर ब्लॉक कर दुरी बना लिए वजह सिर्फ ये है साफ़ रंगरोगन के बीच उन्हें आइना पसंद नहीं है … आइना देखना उन्हें पसंद नहीं है जिस वजह से वह ब्लॉक कर देते नंबर .. हद तो ये है एक हत्या की घटना हुई घटना की सूचना के लिए भी कॉल रिसीव नहीं किए … मुखे कानून छ के तर्ज पर ढाई दशक पूर्व वाले रुतबा के साथ कुर्सी पर विराजमान है ..