सवाल बड़ा है इस लिए इसे ले कर आए हैं ‘बोली की गोली’ में … एक तरफ जहाँ अपराध के ग्राफ कम करने में एक जिला के कप्तान के नेतृत्व में पुलिस कामयाब दिख रही है वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग विभाग में हैं जिनसे उक्त जिला पुलिस को शर्मिंदगी का शिकार तो होना ही पर रहा है तो दूसरी तरफ खुले आम लूट मची हुई है … बड़ा सवाल है आखिर ऐसे लोगों की शिकायत के बाद फटकार तो लग जाती है लेकिन उन्हें फटकार के बाद बचाने वाले कवचधारी सामने आ जा रहे हैं .. जो कवचधारी बन रहे है वैसे दोषी लोगों पर तत्काल कार्रवाई से बचा तो ले रहे हैं लेकिन विभाग में उन दोषियों नासूर बनने में मदद कर रहे हैं ….

इन दिनों शहर से सटे एक थाना में एक नेता जी की चलती है तो दूसरी तरफ शहर से सटे एक थाना में एक ऐसे हैं जो कुछ दिन पूर्व कोतवाल के छुट्टी पर जाने के बाद जम पर अपना प्रैक्टिस चला लिया … हद तो ये है प्रतिदिन के इस प्रैक्टिस ने क्षेत्र में पुलिस की छवि को जमींदोज कर दिया …. वही एक क्षेत्र में लगातार एक एक कर कई खामियों के सामने आने के बाद मनोबल बढ़ा तो पीतल वाली स्क्रिप्ट तैयार की गयी … इस पर भी कार्रवाई से बचे तो और मनोबल बढ़ा तो हुश्न के बाजार वाली गली में गद्दी बंडल में तब्दील हो गया गर्मी के मौसम में ….. बंडल की स्थिति ये है कोतवाल तक को सही जानकारी है लेकिन तब तक उन्होंने भी गलत सूचना ऊपर दे दिया तो उसी पर कायम हो गए … गद्दी बंडल के खेल के बाद रात के अँधेरे में कोतवाल की जिप्सी भी निकली तफ्तीश के लिए … तफ्तीश में खेल हुआ ये भी सामने आया लेकिन कोतवाल भी खामोश