बिहार में जो पुलिस सर्विलांस की शुरुआत हुई थी तो उन दिनों अपराधी बेखबर थे इस सर्विलांस टेक्नोलॉजी से … समय बदला और कुछ पुराने पुलिस पदाधिकारी तो कुछ एक दशक के पूर्व के करीब आया बैच अपराधी से प्रभावित हो कर इस टेक्नोलॉजी की जानकारी अपराधी को दे डालते हैं .. हद ये है जब प्यार के चक्कर वाले FIR दर्ज होते हैं तो कांड के अनुसंधान पर युवती की बरामदगी का दबाव बनता है तो वह आइओ वादी को सर्विलांस की बातें सुनाते हैं और बताते हैं हम लगे हुए हैं …

सर्विलांस मोबाइल फ़ोन का अब अपराधी गलत फायदा उठाने लगे हैं … अपराधी या शराब कारोबार से जुड़े लोग जब ये जान जाते हैं कि ये मेरा मोबाइल नंबर पुलिस तक चला गया है या काफी लोगों के बीच है तो पुलिस के हाथ लग चुके होंगे तो उस नंबर से न तो अपराध की बात होती है न ही धंधे की … कोडिंग में बात कर पुलिस विभाग के लोगों को टारगेट करने में लग जाते हैं अपराधी …
“अरे यार थाना मैनेज है … न चिंता की बात है ऊपर से नीचे तक मैनेज है …कोई बात नहीं हम बात कर लिए हैं फलां ***से काम करो … ” इस तरह की बातें कर अपराधी पुलिस विभाग में या बिहार सरकार के अन्य विभाग में बदनाम करने में कामयाब हो रहे हैं …

ऐसा नहीं है सभी बातें सुनियोजित होती है कुछ मामले में मैनेज भी होता है … ख़ास कर शहर के इर्द गिर्द ग्रामीण इलाके में जो भी शराब उतरता है वह बगैर मैनेज के नहीं … वही शहरी इलाके में वैसे लोग मैनेज होते हैं जो शराब कारोबारी के यहां जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं या फिर उनको बुलाते हैं आओ मिलो … सर्विलांस टेक्नोलॉजी के फायदे भी हैं तो अपराधी उसका गलत उपयोग भी करने लगे हैं …