पब्लिक सुरक्षा में संचालित हुआ नाका – नाका में खुला तवायफों से वसूली रजिस्टर “पिटारा”

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मुजफ्फरपुर में कई रोचक के साथ शर्मिंदगी का इतिहास ऐसे हैं जो पन्नों में ही नहीं लोगों के जेहन में घर कर गए   …
“पिटारा” में ‘अनसुनी कहानी’ का एक शर्मनाक कहानी ले कर आए हैं   … 
उत्तर बिहार का चतुर्भुज स्थान इसे किसी ज़माने में इलाका घुंघरुओं की झंकार और तबले के थाप के साथ गूंजता रहता था   …. शाम होते इस इलाके में बेली की खुशबू फिजाओं में फैली फिर लोग अलग उमंग में नजर आते थे   … इस इलाके में एक पुलिस नाका का निर्माण हुआ था  … लेकिन आम लोगों के सुरक्षा के लिए बना यह नाका वसूली गैंग बन कर रह गया  … इलाके में रह रही तवायफ और सेक्स वर्कर्स के नाम सीरियल के साथ अंकित थे   …
एक महिला आईपीएस शहर में आयीं  .. उस दौरान एक ट्रेनी डीएसपी और आईपीएस महिला अधिकारी के निजी सूत्र क्षेत्र में अपराध नियंत्रण के लिए भ्रमण करते हुए पहुँच गए नाका में   … ट्रेनी डीएसपी के आँखों पर मोटा चश्मा   .. नाका में एक हवलदार थे लेकिन वह डीएसपी साहब को पहचान नहीं किए   … फिर चाय का आर्डर करने निकले हवलदार तो हरे रंग का रजिस्टर खोल जब डीएसपी और अन्य ने देखा तो दोनों हैरान हो गए   … मंदिर रोड, शुक्ला रोड, मेन रोड. लालटेन पट्टी नाम से अलग अलग जिस्ता में जिक्र था  .. इन सभी जिसते में नाम अंकित था   … बगल में खर्चा पानी की राशि लिखी थी   … बात दो दशक पूर्व की है  .. पिछले कुछ वर्ष पूर्व उसी नाका से हथियार को भी चोरी हुई   … अब वह इलाका में बाकी परम्परागत पेशे से अलग अधिकांश लोग जिस्म के बाजार में बदल गए  … वहीँ शर्मनाक बात ये है जिस्म के मंडी में भी कुछ वर्ष पूर्व तक रजिस्टर का तामिला होता रहा   ….
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