“बोली की गोली” में शर्मनाक दर्दनाक और शर्मिंदगी वाले मुद्दे को ले कर आए हैं …. बोली की गोली के इस कॉलम को लिखने में लेखक भी शर्मिंदा है …
जिंदगी के राहों दोस्ती का रिश्ता का बड़ा प्यारा सम्बन्ध होता है …. ये भी एक रिश्ता ही होता है … भले खून के न हो पर एक दूसरे के लिए खून और किडनी देने को तैयार हो वह है दोस्ती … इन दिनों पुलिस महकमे में कुछ ऐसे चेहरे आ गए हैं जो इस रिश्ते को तार तार कर रहे हैं …पुलिस विभाग में साथ में ट्रेनिंग कर नौकरी पाने वालों में कुछ ऐसे बेगैरत चेहरे सामने आए हैं जो अनुशासन के लिए प्रचलित पुलिस विभाग को शर्मिंदा कर रहा है .. बिहार में खास कर बेलगाम हो अत्यधिक पा लेने वाले अभिलाषाओं के बीच रिश्ते नाते, दोस्ती और प्यार में कुछ चंद लोगों के बदलाव ने आज मूल्यांकन करने को मजबूर कर दिया है अन्य पुलिसकर्मियों को …
बात है बिहार के एक जिला कि जहाँ एक वर्दीधारी ने दूसरे वर्दी धारी के परिजनों को दिया भद्दी भद्दी गाली … हद तो ये है दोनों कभी दोस्त हुआ करते थे ट्रेनिंग काल में .. दोस्ती में वो हर रिश्ता एक होता है … वह बहन हो या माँ एक दूसरे दोस्त उसी नजर से दोनों परिवार को देखते हैं … यहां तो हद हो गयी .. अपने बैचमेट के माँ को वह गलियां दी गयी जो किसी दूसरे वृद्ध महिला को भी कोई न दे .. यह तो बैचमेट का परिवार था … जनाब पुलिसिंग करने गए थे …. ग्रिल तोड़ा ठीक है … बैचमेट का कोई आरोपी हो या संदिग्ध हो उसे गिरफ्तार किया ये भी ठीक है … लेकिन उस माँ और बहन के साथ जो व्यवहार किया उस घटना क्रम और शब्दों को तीन युग तक बिहार पुलिस विभाग में नहीं भुलाया जा सकता … जनाब क्या हैं ये इलाके में चर्चा है … दुःखद