“बोली की गोली” चौराहा बना थाना अध्यक्ष का कक्ष ‘उक्त जिला में IG, SSP, DySP 

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व्यंग्य रचनाएं हमारे भीतर गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने-सामने भी ला खड़ा करती हैं जिनसे हम आए दिन बावस्ता होते हैं  ….. “बोली की गोली” व्यंग्य लेखन समाज की पीड़ा को अभिव्यक्ति दे इस लिए हम ले कर आते हैं   …
बिहार में छोटे जिला मसलन सुपौल, शिवहर ऐसे  जिला में सेवा कार्यालय में देने के बाद अगर किसी को शहरी क्षेत्र का बड़ा थाना में से चौथे दर्जे का थाना का प्रभार मिल जाए तो वह बेहतर कार्य कर अपने सीनियर को संतुष्ट करने में जुट जाएगा  … लेकिन उत्तर बिहार के एक जिला में ऐसे ही एक थाना के कोतवाल ने अपना कक्ष एक चौराहे को बना डाला है  … सुबह की गस्ती हो या दिवा गस्ती या संध्या कहें या फिर रात्रि गस्ती  … ये सभी गस्तियाँ  भगवान भरोसा पर ही टिका है   … बैंक  सुरक्षा हो गया फिर बड़े कारोबारी की सुरक्षा वह भी ऊपर वाले के रहम पर टिका है  ….
यह थाना क्षेत्र ऐसा है जहाँ दिन में और शाम में घर के अंदर डकैती की घटना हो चुकी है  … इस इलाके में बैंक के बाहर निकलने पर लाखों की लूट की घटना कई बार हो चुकी है   … पेट्रोल पंप लूट हो चुका है   … कैश एजेंट से 38 लाख की लूट की घटना हो चुकी है   … बड़े कपड़ा कारोबारी की हत्या हो या फिर  प्रॉपर्टी डीलर की हत्या  … इसी इलाके में अत्याधुनिक हथियार AK 47 से ब्लास्ट खोल गोलियों की बौछार कर ठेकेदार की हत्या कर दिया गया था  … इसी इलाके में मोतिहारी के दबंग का हत्या AK 47 से हुआ    ….  इस इलाके में स्पेशल ब्रांच के GO की संदिग्ध मौत की घटना घटित हुई  ….  उस इलाके के कोतवाल का सेंटर सिर्फ एक चौराहा बन कर रह गया  …. ऐसे में अपराधी किसी भी क्षेत्र में घटना  अंजाम दे कर उस चौराहे को छोड़ किसी भी रास्ते से रफूचक्कर हो जाएगा और कोतवाल साहब चौक पर ही व्यस्त रहेंगे  … वह उस जिला के शहरी क्षेत्र का मामला है जहाँ आईजी एसएसपी डीएसपी हैं  … जरूरत है छोटे जिले के कार्यालय से आए कोतवाल को मार्गदर्शन का  ….
सवाल उठता है थाना आखिर कैसे चलता है ?   …. थाना “गंधराज” के कंधे पर है  … गंधराज की ड्यूटी मुंशी की है लेकिन वह इन दिनों खुद को कोतवाल समझ जिस आवेदन का जांच पूर्व में हो चुका है उसका फिर से जांच अपने चाहते पुलिस पदाधिकारी को  इंडोर्स करा करवा रहे हैं , दुबारा  जांच में खेला का होबे ये समझा जा सकता है    … हद तो ये है चरित्र प्रमाण पत्र में भी खेला होबे  …  ऐसे में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हो या व्यवसायी वर्ग सभी हैरान और परेशान हैं   … हद तो ये है जिस चौराहे के रास्ते का सफर तय किया जाता उस रास्ते में जगह जगह शराब और स्मैक का कारोबार अत्यधिक बढ़ा है ऐसा स्थानीय लोगों का भी आरोप है जो दीखता भी है दिन की उजाले से रात के अँधेरे में भी   …
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