मुजफ्फरपुर नगर निगम चुनाव में अब बस कुछ महीने ही बचे हैं ऐसे में वार्ड में नगर सरकार का नेतृत्व करने वाले को जनता की याद आ गयी है … जो अक्सर जनता के बीच रहे उन्हें तो कोई परेशानी नहीं ….. वैसे पार्षद जो सिर्फ चुनाव से 6 माह पूर्व अपने क्षेत्र के जनता के बीच होते हैं … वह खुद मैदान में हो या फिर अपनी कूटनीति से अपनी पत्नी को कुर्सी दिलाने में कामयाब रहे वह दिखने लगे हैं जनता के बीच …ऐसे चुनाव जीतने वाले अधिकांश लोग ऐसे हैं जो धनबल और बाहुबल के साथ फर्जी मतदाता के बैसाखी पर चुनावी जंग में दौर लगाते दीखते हैं ….

मुजफ्फरपुर में कई वार्ड ऐसा है जहाँ फर्जी मतदाताओं की संख्या 300 से 1300 तक है …. ये फर्जी मतदाता अगल बगल के ग्रामीण इलाके के हैं तो कुछ के नालंदा गया और अन्य जिलों के लोगों को अपने वार्ड में मतदाता बना डाले हैं …. फर्जी मतदाता के खेल में साथ देते हैं क्षेत्र के बीएलओ … बीएलओ वैसे लोगों को क्षेत्र में रहते मतदाता सूची में शामिल नहीं करते जो उनके चहेते वार्ड पार्षद के वोटर नहीं हैं …. बीएलओ अपने चाहते वार्ड उम्मीदवार के इशारे पर उन तमाम लोगों को शामिल कर देते हैं जो उनके वार्ड में कभी रहे भी नहीं … दूसरे क्षेत्र या फिर दूसरे जिला के हैं … पिछले नगर निगम चुनाव के दौरान कई क्षेत्र में ऐसे लोग को पुलिस ने हिरासत में लिया था …. अब देखना दिलचस्प होगा इस बार फिर फर्जी मतदाताओं के मताधिकार से कितने लोग फिर चुनाव जीतने में कामयाब होते हैं … कारण साफ़ है जिला में फर्जी मतदाताओं पर कोई ठोस कार्रवाई न हुई है न आगे होने की उम्मीद है ..