मुजफ्फरपुर में सरकारी व्यवस्था में अपराधियों का एक शरणस्थली “बोली की गोली”

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“बोली की गोली” में ले कर आए हैं अपराधियों का शरणस्थली   …. जी हाँ ये शरणस्थली सरकारी व्यवस्था में चलता है   …यहाँ  अपराधी सरकारी सुरक्षा में रहते हैं   … सरकारी भोजन और अन्य लाभ लेते हैं और फिर यहाँ से उन्हें छुट्टी मिलती है  … छुट्टी पर बड़े बड़े अपराध कर फिर सरकारी संस्था में आ जाते हैं   … हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरपुर का रिमांड होम का   … यहाँ सुपाड़ी किलिंग से ले कर बैंक लूट तक का प्लान सेट होता है और घटना को दिया जाता है अंजाम   …
मुजफ्फरपुर रिमांड होम में रहते हुए छुट्टी पर निकल कर कई गंभीर कांड करते हैं बाल बंदी   … बाल बंदी के नाम पर यहाँ व्यस्क बंदी बड़े आराम से रहते है  .. तकनीकी रूप से इस बात की तफ्तीश में जाने पर जो जानकारी छन कर आयी यहाँ के बंदी कर्मियों को प्रभाव में ले कर अपनी उम्र को कम कर रहते हैं   .. कई बाल बंदी कम उम्र में बाल सुधार गृह यानी रिमांड होम पहुँचता है   … उस रिमांड होम में कई वर्ष रहने के बाद भी उसका उम्र नहीं बढ़ता ये तकनीक सिर्फ रिमांड होम के पास है जहाँ उम्र नहीं बढ़ता और बाल बंदी बन छुट्टी भी लेते और अपराध करते व्यस्क अपराधी   …
मुजफ्फरपुर रिमांड होम में मीनापुर का विकास बाल बंदी था इस दौरान वह कई संगीन अपराध की घटना को अंजाम देता रहा   … रिमांड होम के अधीक्षक इससे बेखबर रहे   … इसके पूर्व के वर्षों में गौर करें तो विक्की नामक एक बंदी था जिसने रिमांड होम को शरणस्थली बना रखा था लेकिन वह उम्र में व्यस्क था   … रेप हत्या का आरोपी भी जेल की जगह तिकड़म लगा रिमांड होम में बना रहा   ..
सरैया बैंक लूट कांड में गिरफ्तार विकास चार भाई है  … जिसमे तीन अपराधी है तो चौथा बैंक ग्राहक केंद्र चलाता है    … रिमांड होम में रहते हुए कुढ़नी बैंक लूट कांड शिवहर लूटकांड ऐसे घटना को अंजाम दिया गया था   … विकास हाजीपुर के मामले में जुवेनाइल का फायदा उठा जेल से बाहर है वहीं विकास का भाई बीरेंद्र अभी भी बैंक लूट में जेल में हैं   … विकाश का एक और भाई बलिंदर पुलिस  पकड़ से बाहर है   … जिसके लिए हाल में ही दिसंबर 21 में उसके घर की कुर्की जब्ती किया था पुलिस ने   …. विकाश जुबनाइल बन लगातार पुलिस के पकड़ में आता है और अपने मासूम चेहरा और फर्जी कागजात के बल कर रिमांड होम को ठिकाना बनाता रहा   … ऐसे में बड़ा सवाल ये है आखिर रिमांड होम के अधीक्षक और अन्य कर्मी क्यों नहीं व्यस्क बंदियों की सूचना जुबेनाइल कोर्ट, जिला के डीएम, और जिला के पुलिस कप्तान तक देते हैं   … लाजमी है ऐसे मामलों को अगर दबाया जाता है तो कहीं न कहीं से अंदरखाने प्रभाव का खेला चल रहा है   …
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