बड़ा बाबू भरे बोरा ‘बटुआ बनाने में हुए बेनकाब’ “बोली की गोली”

pmbnewsweb
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बोली की गोली   …. बड़ा बाबू की बात निराली है  … बड़े जगह से तनी गो की जगह में गए तो बौखला गए  … फिर मिला तनी बड़ जगह  … क़ाबलियत थी इलाके में बोरा हीं बोरा था  … इलाका ऐसा था जहाँ एक विस्फोट से शहर हिल गया  … शहर हिलाने वाले जगह में ऊँची दीवार सुनसान इलाका जहाँ रात के अँधेरे में जाने से लोग डरते हैं उस इलाके में सुनसान राहों पर बड़ा बाबू की निगाह शहंशाह वाली थी   … निगाहें मात्र से बड़ा बाबू का बोरा भरता चला गया   …. बोरा खाली करने के लिए बाबा बने  … कद के छोटे लेकिन एक कुटिया बना लेकिन फिर भी बोरा की छलनी ऐसी की खाली होने का नाम नहीं लिया  … फिर क्या एक एक बोरा को खाली करने के लिए बोरा के अंदर के सामान को छोटे में कर बटुआ तक समेटा जाने लगा   … बोरा से बटुआ की कहानी में बेनकाब ऐसे हो गए कि बात छोटे कद वाला बाबू का लम्बे कद वाले तक गयी  … लम्बे वाले कद के पास ऊँची लम्बाई के कानो तक कई श्रोत से बात ऊँचे कानो तक पहुंची फिर क्या बड़ा बाबू अब बटुआ समेट बोरा की उम्मीद छोड़ अब कुटिया में आराम फरमाने लगे   … ऐसे अभी भी जुगाड़ में हैं कहीं फिर बन जाएं बड़ा बाबू   …

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