कहानी है एक ऐसे हाकिम की जो अपनी यात्रा पर निकले थे …. चार चक्का गाड़ी पर सवार हो अपने पद के गरिमा के साथ सुनहरे बादियों का लुफ्त उठाते है सफर जारी था … इसी बीच बीच सड़क पर हाकिम ने तोड़ दिया मर्यादा भूल गए की उनका पद क्या है …. हुआ ये रास्ते पर एक गेट पर उन्हें रोक दिया गया …. बीच राह लगे गेट को तो आप समझ हीं गए होंगे … जी हाँ सही पकड़े हैं टोल प्लाजा पर …
हाकिम से 120 की चुंगी मांगी गयी … हाकिम ने देने से इनकार किया … फिर क्या हाकिम जबरदस्त आक्रोश में आए फिर भी वसूली हो गयी … हाकिम नाराज लगा दिया स्थानीय थाना को दूरगामी बेतार यंत्र से कॉल … हाकिम ने पहले अपनी घटना को बताया और फिर कहा ले जाओ थाना पर यहाँ तक तो ठीक लेकिन जब कोतवाल ने कहा हम कॉल करते है वापस कर देगा (120) तो हाकिम हो गए नाराज और फिर पद की गरिमा को ताक पर रख जो गालियां देते रहे चुंगी वाले वाले को वह हम तो लिख नहीं सकते .. साहब ने तो गरिमा तोड़ दिया …. हम तो सिर्फ व्यंग्यपूर्ण रचना पर ही सीमित रहेंगे