आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कहानी एक जेल की … जेल में आज बंदियों की इतनी भीड़ हो गयी की बंदियों को होने लगी परेशानी … इस जेल में 2135 बंदी के रहने का सरकारी आंकड़ा है … 2135 की क्षमता वाले इस जेल में बंदियों की संख्या बढ़ती ऐसी चली गयी की अब जेल के अंदर हीं पुराने भवनों में जगह देनी पर गयी … आखिर ऐसा क्या हुआ की आज मुजफ्फरपुर के शहीद खुदी राम बोस केंद्रीय कारा में कैदियों की फ़ौज बन गयी …. जेल के सेल हो या बैरक सभी फूल …सुनने में आम तौर पर अटपटा लगेगा हीं लेकिन आप आंकड़ों को देख चौक जाएंगे … मुजफ्फरपुर में ऐसा भी हो सकता है …

मुजफ्फरपुर जहाँ फाइटर और सिक्कर, डाईगर चेन से शुरू हुआ अपराध आज धीरे धीरे देशी कट्टा से बरेटा पिस्टल तक पहुंचा … कार्बाइन से आज AK 47 और AK 56 तक पहुंचा वहां ऐसा क्या हुआ की अपराधी पानी मांगने लगे … जिस जिला में प्रति दिन कांड लूट छिनतई के सामने आते थे वहां आज कई दिनों तक कोई अपराध नहीं होते …. इसके पीछे मुख्य वजहों को जाने उससे पहले आप मुजफ्फरपुर जेल के आंकड़ों को देखें …
वर्ष 2016 के आंकड़ों पर गौर करें तो 2135 बंदी के क्षमता वाले मुजफ्फरपुर जेल में 1992 पुरुष बंदी और लगभग 143 महिला बंदी बंद थीं …
वर्ष 2019 में लगभग 1944 बंदी मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद थे …

2019 से 2021 के दिसंबर महीना तक रिकॉर्ड गिरफ्तारी ने आज जेल को फूल कर दिया … यह हम नहीं कह रहे ये आंकड़ा कहता है … अभी वर्तमान में लगभग 44 सौ पुरुष बंदी जेल के अंदर हैं … इसमें लगभग 140 के आस पास महिला बंदी हैं … महिला बंदी के आंकड़ा में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई लेकिन पुरुष बंदियों में जबरदस्त वृद्धि सामने आया है ….. आंकड़ा चौकाने वाला है … 2019 में 19 सौ 92 बंदी से दो वर्षों में ये संख्या 44 सौ पार कर गयी … दोगुना से ज्यादा बंदी आज अगर जेल में हैं तो लाजमी है बाहर अपराध कम होंगे हीं … 2019 से पूर्व शराब मामले में गिरफ्तार बंदियों की संख्या दो सैकड़ा के अंदर सिमटा हुआ था जो अब बढ़ कर 17 सौ हो गया …
जेल भर गया आखिर क्यों इसकी वजह हैं … ऐसे दबंग IPS अफसर की जिससे अपराधी थर-थर कांपते हैं … ये आईपीएस बिहार में पटना से हीं चर्चित होते चले गए … पटना और कई जिलों में बतौर ट्रेनी आईपीएस, सिटी एसपी, एसपी और एसएसपी के पद पर कार्य कर चुके हैं …. अभी बतौर एसएसपी के पद पर मुजफ्फरपुर में जब पदभार ग्रहण किया तो कई चर्चाएं होने लगी … अपराधी गुट पर कोई ख़ास प्रभाव तो नहीं दिखा था कई कोतवाल भय में आ गए थे …

जिला में पोस्टिंग के साथ आईपीएस जयंत कांत का तेवर अपराधियों को समझने में कुछ वक़्त लगा लेकिन फिर हालत ये हो गए हैं कई बड़े अपराधी शहर छोड़ फरार हैं तो कई भूमिगत हो गए …जेल के आंकड़ों को देख ये सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईपीएस जयंत कांत के कार्यकाल में अपराध पर अगर लगाम लगा तो क्यों लगा …. जयंत कांत एसएसपी को कुछ असामाजिक लोगों का विरोध का सामना भी होता रहा लेकिन उसके बावजूद अपने काम को सच्ची निष्ठा के साथ अंजाम देते रहे …