मुजफ्फरपुर जमीन कारोबार में जबरदस्त दहशत – किसी ने कारोबार समेटा तो कोई कारोबार को किया शिफ्ट

pmbnewsweb
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मुजफ्फरपुर में जमीन कारोबार 1990 से शुरू हुआ   ……. जब एक दो कर  …  एक – एक कर कई लोग इसमें शामिल हुए लेकिन ये कारोबार 1998 के बाद बढ़ता चला गया  …. पहले लोग ब्रोकर के माध्यम से सीधे जमीन रजिस्ट्री किया करते थे  … वर्ष 2000 से लोग पावर के साथ जब कारोबार शुरू किये तो आमदनी बढ़ती चली गयी  …. इसका साइड इफेक्ट ये भी हुआ की जमीन के दाम आसमान छूने लगे  …. मुनाफा बढ़ा तो कारोबार में कारोबारियों की संख्या बढ़ती चली गयी  …. फिर कारोबार में अधिक मुनाफा की लालच में हत्या का प्लानिंग और हत्या शुरू हुआ  ….. जमीन के लिए हत्या के घटना की शुरुआत के साथ बाहुबलियों का घुसपैठ हुआ   ….


पिछले एक दशक में बात की जाए तो सिर्फ मुजफ्फरपुर में तीन दर्जन के करीब हत्या सिर्फ जमीन मामले में हुआ  … इसमें से करीब एक दर्जन प्रमुख चेहरा भी रहा  … हत्या से दहशत के बीच भी कारोबार रुका नहीं और फिर जमीन कारोबार में दबंगता हावी हुआ  … जो जितना दबंग उतने मुनाफे में कारोबार  …. इसके पीछे मुख्य वजह ये रहा कि विवादित जमीन कम रेट में लेना और फिर प्लॉटिंग कर उसे ऊँचे दामों में बेचना   …. पिछले कोरोना काल में मंदी दिखा लेकिन इस मंदी में भी कारोबार हुआ  …. लेकिन पिछले चार वर्षों में एक अजब नजारा देखने को मिला  …. कई ऐसे दबंग हैं जो इस कारोबार में थे और जमीन कारोबार से हट कर अपना व्यवसाय में चले गए या फिर ठेकेदारी में चले गए तो कोई बिहार से बाहर हो लिए


स्वाभिमान वाले दबंग लोग अपने जमीन कारोबार को समेट लिया और जमीन कारोबार से दूर अन्य कारोबार में जुट गए  …. मुजफ्फरपुर जिला का अभी तक के इतिहास में सबसे बड़े जमीन का जिस सिंडिकेट ने डीलिंग किया  .. उस सिंडिकेट से जुड़े मुख्य लोग भी अभी मुजफ्फरपुर शहर से दूर अपने जमीन और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के कारोबार में चले गए   … 1990 से जिला में शुरू हुआ ये कारोबार तीन दशक बाद अब दूसरा रूप ले लिया है  .. हालात ये हो गए हैं कि बड़े कारोबारी भी जिला से दुरी बना लिए   …


सवाल बड़ा है आखिर ये कारोबार समेटने के पीछे वजह क्या है ?   … एक कारोबारी की माने तो इस कारोबार में अब गंदगी ज्यादा आ गयी जिस वजह से छल प्रपंच से दूर अपना दूसरे कारोबार में ही मन लगा लिया   … वहीं दूसरे कारोबारी के नजदीकी सूत्र की माने तो जिला में धंधा अब गन्दा हो गया है  … इस वजह से सिंडिकेट का अब सिर्फ नाम का जिला में रहेगा कारोबार  .. मुख्य रूप से अब बिहार के बाहर कारोबार होगा   ….. आखिर ऐसा क्या दहशत है या फिर छल प्रपंच जिससे जमीन कारोबार में लाखों करोड़ो अर्जित कर चुके लोग अब जिला से दूर हो रहे हैं

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