मुजफ्फरपुर जिला पुलिस की छवि कैसी ? क्या दिया जनप्रतिनिधि और आम लोगों ने रैंकिंग ? पढ़ें ….

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मुजफ्फरपुर में थानेदारी कई चुनौती, कुछ की बल्ले बल्ले तो कुछ काम पर रखते विश्वास, क्या है आम लोगों में पुलिस की छवि ?

पढ़ें ख़ास रिपोर्ट  
मुजफ्फरपुर में कई कोतवाल सिर्फ काम से मतलब रखते हैं  … वहीँ कई ऐसे भी हैं जिनकी बल्ले बल्ले है  … इलाके में अपराध होता है तो जिला की एसआईटी डीआईयू और स्पेशल टीम लगती है  … लेकिन उपलब्धि का ख़िताब लेने के लिए साहब के पीछे तस्वीरों में जरूर दीखते हैं  ….. शराबबंदी के बाद शराब मामले में भी मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं  … शराब माफिया से याराना मिलीभगत     … कई जेल तक सफर तय किए पुलिस वाले  … आम फरियादियों से व्यवहार के वजह से कई चर्चित हैं तो कई अपने अंदर में निजी शख्स को रख चुन्नू मुन्नू का खेल चलवाते हैं  … हद तो ये है ऐसे निजी लोग थाना के मुंशी के साथ रात के 12:17 मिनट तक थाना पे जमे रहते हैं   .. कोतवाल भले थाना से घर जा कर आराम में हों लेकिन उनके निजी शख्स रात में भी ड्यूटी बजाते रहते हैं   ….


मुजफ्फरपुर जिला पुलिस की छवि कैसी ? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए PMB न्यूज़ जिला के एमपी और नेताओं के साथ व्यवसायी वर्ग, डॉक्टर और आम लोगों का जवाब लिया  …. जवाब में क्या कुछ आया सामने  …. क्या दिया लोगों ने जिला पुलिस को रैंकिंग देखें  …… 

मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद बताते हैं जिला के थाना में आम फरियादियों से मित्रता के साथ व्यवहार करना चाहिए जिससे कमी है  ….  कोई भी व्यक्ति अस्पताल और थाना नहीं जाना चाहता मज़बूरी में ही थाना पहुँचता है   ….. लेकिन वहां भी अगर उसे मधुर दो शब्द नहीं मिले तो क्या करेगा   … आम तौर पर आर्थिक रूप से जो मजबूत होते हैं उन्हें थाना में दिक्कत नहीं होती  … थाना में समाज के दबे कुचले लोग जब जाते हैं तो उन्हें सही व्यवहार मिलना चाहिए   … सांसद अजय निषाद ने कहा हम शायद ही कभी थाना को फोन करते हैं किसी जनता के समस्या के लिए  …. हम हर माह में कम से कम दो बार जिला के डीएम और एसएसपी से मुलाकात करते हैं  … आम जनता कोई फरियादी पुलिस से सम्बंधित कोई मामला ले कर आते हैं तो हम एसएसपी स्तर से ही बात कर फरियादी के समस्या का हल निकालने का प्रयास करते हैं   ….


व्यवसायी वर्ग में बिहार में एक बड़े कारोबारी कपड़ा मंडी में एक अलग पहचान रखने वाले ऋषि अग्रवाल उर्फ़ छोटू जी ने कहा हाल के दिनों में कारोबारियों में सुरक्षा को ले कर जो भय बना रहता था वह बहुत हद तक दूर हो गया   … हम कारोबारी अब भयभीत नहीं रहते  …. इसके पीछे वह जिला के पुलिस कप्तान जयंत कांत को श्रेय देते हैं  … एसएसपी और हमारे वार्ड पार्षद संजय केजरीवाल के बीच हुए वार्ता के बाद कपड़ा मंडी में बहुत हद तक CCTV लगाया गया   …. निश्चित ही हम जैसे कारोबारियों की पहल रही और उसका रिजल्ट भी मिला  …. एक कम पूंजी के कारोबारी का रिक्सा  से एक गाठ माल गायब हो गया  … CCTV से चिन्हित कर कार्रवाई हुई   …. नगर डीएसपी हो या नगर कोतवाल सभी इलाके में गस्ती करते गुजरते हैं जिससे हम लोगों में सुरक्षा का विश्वास जगा है   ….


डॉक्टर गौरव वर्मा ने “मुजफ्फरपुर जिला पुलिस की छवि कैसी ?” का जवाब बड़ी बातों के साथ दिया  … डॉक्टर गौरव ने एक घटना को याद करते हुए बताया की हम लोग मोतिहारी से मुजफ्फरपुर आ रहे थे अहले सुबह करीब चार बज रहा था  … सड़क दुर्घटना को देख हम लोग रुके कुछ गंभीर रूप से घायल को अपनी गाड़ी में लिया घटना स्थल पर एम्बुलेंस बुलाया अन्य घायल के लिए  .. चार बजे सुबह जिला के एसएसपी जयंत जी को कॉल किए उन्हों ने रिसीव किया और उन्हें हम ने घटना की जानकारी दिया  … अहले सुबह हुए वार्तालाप से ऐसा कहीं से नहीं लगा की फोन कॉल से वह परेशान हुए  ….  बाद में ये भी जानकारी मिली एसएसपी खुद भी घटना स्थल पर गए  …. ये जिला के पुलिस कप्तान होने के नाते उनकी अच्छी पहल देखने को मिली  … वहीँ थाना स्तर पर कोई कॉमेंट देने से डॉक्टर गौरव परहेज किए  … बोले सभी जानते हैं हाल क्या है  .


डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया की डॉक्टर के सुरक्षा पर पुलिस को गंभीर होना चाहिए  … अक्सर डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी पर हमला होता रहा है ऐसे में जिला के एसएसपी को चाहिए एक विशेष नीति के तहत जिला के डॉक्टर के सुरक्षा पर थानों को एक विशेष निर्देश दें जिससे डॉक्टर के साथ हो रहे हमलों पर लगाम लगे  …. किसी डॉक्टर के साथ हुए हमले मामले में थाना काउंटर केश दर्ज कर डॉक्टर पर ही दबाव बनाने लगता है  …


जदयू नेता सुबोध कुमार सिंह बताते हैं थाना से अक्सर ऐसी बात सामने आती है ख़बरों में   … फरियादियों से सही तरीके से थाना में पेश नहीं आते कोतवाल  … थाना में मुंशी जी की हालत छुपी नहीं है  … हम लोग कभी थाना के मामले में जाने से ही करते हैं परहेज  … जदयू नेता ही थाना से परहेज कर रहे हैं तो समझा जा सकता है आखिर ऐसा क्या है थाना में   ….. जिनकी सरकार वह भी थाना में जाने से परहेज करते है  … वहीँ रैंकिंग के मामले में बताया नगर और मिठनपुरा थाना में अनुभवी कोतवाल है  … इनके द्वारा इलाके में गस्ती भी की जाती है  ….. लेकिन थाना में भी इन लोगों को नजर देने की जरूरत है  …


जिला के आम लोगों की माने तो  …. जिला में हाल में दो चर्चित थाना में कोतवाल बदले गए  … इसमें केएमपी और सदर  … दोनों थाना में चुनौती बड़ी है  … सदर थाना को केएमपी इलाका दोनों में अलग अलग स्थिति है  … सदर से केएमपी आने वाले के लिए चुनौती बहुत है  … जिस खेल में सदर इलाका एनएच होने के कारण निकल गए ठीक यहाँ विपरीत स्थिति है   .. केएमपी थाना VIP क्षेत्र का थाना है   … यह वह थाना है जहाँ अक्सर विवाद हुए है  … हाल में कुछ वर्ष शांति से बिता लेकिन इस थाना में बाहरी चुन्नू मुन्नू टाइप के लोगों का जमावड़ा होने से स्थिति बदल सकती है और आसान नहीं होगा बाहरी लोगों का  थाना में घुसपैठ  …. सड़क का थाना होने से यहाँ की पब्लिक सब जानती है  …


वहीँ सदर थाना में कई बड़े बड़े रैकेट पर विराम लगा पाएंगे नए कोतवाल ये भी बड़ा सवाल है  … कटक,बंगाल, यूपी,दिल्ली से जुड़ा है तार और हरियाणा झारखण्ड और पंजाब से दूसरे चीज का जुड़ा है तार  ….. अब देखना दिलचस्प होगा जतना रैंकिंग के बीच ये दो नए कोतवाल जनता के भरोसा पर कितना उतारते हैं   ..जिला के ट्रांसफर हो चुके कोतवाल की माने तो काजल की कोठरी है मुजफ्फरपुर की थानेदारी  .. हमलोग बेदाग इस लिए निकल गए आम पब्लिक से मधुर वार्ता और खुद हर चीज पर नजर रखते थे  .. थाना में चुन्नू मुन्नू टाइप के लोग और दलाल प्रथा ख़त्म कर थानेदारी किए जिस वजह से बेदाग़ निकले  … कुल मिला कर ये रैंकिंग में कुछ ही कोतवाल बेदाग़ निकले  …

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