“बोली की गोली” में वैसे नेता जी का व्यंग्य ले कर आए हैं जो पाला बदलने में माहिर तो हैं हीं जिनके कृपा से चुनावी दंगल में आए उन्हें भी नजर अंदाज कर दिए …. एक को KG की पढाई पढ़ा दिए तो दूसरे को टोपी …. हद तो ये है श्रीमान के कुटुंब जो लगे रहे उन्हें भी दिखा दिए औकात … नेता जी की बात निराली प्रचार साधन के लिए इर्द गिर्द कैमरों की बड़ी टीम है … टीम वही कहती है जो नेता जी के बगली से निकलता है उसी आधार पर …. खैर नेता जी नेतागिरी के हर हत्कंडे को अपना रहे है ..

मैदान में दंगल में जब जमीन खिसकते नजर आयी तो नेता जी को याद आ गई मालिक की … दरअसल जिस लालटेन की रोशनी में नेता जी अपनी जिंदगी में पॉलिटिक्स के गलियारे को रंगीन करने चले हैं उस लालटेन में तेल कम पर गया … जी हाँ सही पकड़े हैं ‘वोटर कम पर गए … अब नेता जी हिचकोले खाने लगे न बगली से निकलने वाली लक्ष्मी वाली फ़ौज काम आती दिखी न ही खुद का एक विशेष समाज में पकड़ … नेता जी ने मालिक मालिक किया .. मालिक तो स्वर्गलोक में हैं .. मालिक ने जिला में बहुत कुछ दिया है .. ऐसे में छोटे मालिक ही सहारा नजर आए … नेता नाव पर तो सवारी छोड़ लालटेन पकड़ लिए … अब लालटेन में तेल भरने के लिए छोटे मालिक के चरणों में आ गए …