मुजफ्फरपुर के अपराध का जैसे विश्व में चर्चा होती है, वैसे ही पुलिस के कारनामों की भी चर्चा होती है ….
‘अनसुनी कहानी’ के “पिटारा” से निकल कर आ रहा है जिला के एक पेट्रोल पंप लूट कांड …. घटना अहियापुर थाना क्षेत्र में करीब 13 वर्ष पूर्व हुई थी लूट … उन दिनों जिला में अलग अलग तीन टीम विशेष छापेमारी के लिए होती थी और बड़े घटना के तफ्तीश में भी मुख्य रूप से शामिल रहते थे … साथ ही छोटे मामले थाना स्तर से देखा जाता था … लूट कांड के बाद एक टीम के साथ मिल कर अहियापुर थाना में मामले का खुलासा कर दिया … कई अपराधी और हथियार के साथ कथित आरोपी जेल भेज दिए गए …
इसी लूट कांड के खुलासे के लिए एक टीम और लगी थी … कई तकनीकी कार्य अलग अलग चल रहे थे … जिसमे सभी तत्कालीन एडिशनल SHO काजी मोहम्मदपुर, मिठनपुरा, सदर और नगर के साथ ब्रह्मपुरा … टीम के सदस्य को तकनीकी सहायता से जानकारी मिली की संजय झा गिरोह जिसने पेट्रोल पंप लूट कांड को अंजाम दिया है, वह डिस्कवर गाड़ी खरीदने तिरहुत ऑटोमोबाइल में आ रहा है …. KMP एडिशनल , मिठनपुरा के एडिशनल के साथ कुछ और पुलिस कर्मी की टीम सादे लिबास ने बाइक एजेंसी के इर्द गिर्द हो लिया .. बस इंतजार था गिरोह के पहुँचने का … गिरोह पहुँचा और तीन या चार बाइक लेने की योजना के साथ … फिर क्या टीम ने धर दबोचा और KMP थाना लाया गया …
गिरफ्तार अपराधियों से जब पूछ ताछ किया गया तो बगैर कोई दबाव के खुद बता दिया लूट हमने किया है … उन दिनों विभाग ने नया नया सैमसंग का मोबाइल मिला था … अहियापुर थाना को जब कॉल किया गया तो ज्ञात हुआ इसमें तो सभी पकड़ लिए गए जेल गए … अब पुलिस फंस गयी आखिर उक्त कांड में किया क्या जाए … फिर बरामद नगदी और आर्म्स मामले में सभी जेल गए … आज भी उक्त छापेमारी दस्ता में शामिल दो जिला में पुलिस के अलग अलग विंग में हैं तो एक समस्तीपुर के दूसरे विंग में … 13 वर्ष पूर्व हुए इस खेल से साफ़ है विभाग में बड़ा साहब के दबाव से बचने के लिए ऐसे कारनामे कर दिए जाते हैं …. वर्तमान वाले साहब इन कारनामों से वाकिफ हैं लिहाजा बड़े बड़े मामले में देरी भले हो लेकिन फेयर डिटेक्शन करना और खुद अपराधी से पूछ ताछ करने से आज के समय में यह कारनामा पर ब्रेक लगा है …