मुजफ्फरपुर में टोटके के शिकार कोतवाल – नहीं चली गोली’ मुँह से निकली बोली’ करा लिए पोस्टमार्टम

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पुलिस विभाग के पुलिसकर्मी हों या पदाधिकारी या फिर अधिकारी विभाग के टोटका को बखूबी जानते हैं  … विभाग से अलग के लोगों में कुछ लोग जानते होंगे पुलिस का टोटका  … 
मुजफ्फरपुर में पिछले दिनों तथाकथिक एक घटना में तथाकथित पीड़ित और कोतवाल का ऑडियो वायरल हुआ   … वायरल ऑडियो में कोतवाल ये कहते हैं “गोली चलेगी तो पोस्टमार्टम करा देंगे” कोतवाल कई जिलों के साथ विशेष शाखा में भी रहे लेकिन कुछ टोटके से अनभिज्ञ हैं  … लिहाजा उन्होंने पोस्टमार्टम शब्द निकाल दिया   … बस क्या टोटके के हो गए शिकार और कुछ दिन के अंदर एक लूट छिनतई की घटना के दौरान महिला घायल हुई और महिला की दर्दनाक मौत हो गयी   … जानकर  बताते हैं थाना में या फिर गस्ती गाड़ी पर पोस्टमार्टम शब्द को PM शॉट शब्द का प्रयोग किया जाता है लेकिन कोतवाल ने जो गलती की उसके शिकार हो गए   ..
विभाग में और भी टोटके हैं  … 
थाना परिसर में सिरिस्ता हो या थाना अध्यक्ष का कक्ष या परिसर हाथ से कोई सामान नहीं गिड़ना चाहिए  … अगर गिर भी गया तो उसे उठा कर चूमा जाता है   … अगर संभव हो तो उसे पानी से भी धोया जाता है   ..
थाना का हाजत कभी खुला नहीं छोड़ा जाता है  … जिला के एक कोतवाल अक्सर हाजत साफ़ करवाने के बाद खुला छोड़वा देते थे इस वजह से उनकी गिरफ्तारी हो गयी थी  …
अक्सर गंभीर अपराध हत्या और लूट डकैती ऐसी घटित अपराध के नाम नहीं लिए जाते थाना में  … हर प्रयास होता है कि उसके धाराओं का जिक्र, मसलन हत्या में 302, लूट मामले में एक डिजिट हटा कर 92 तो डकैती तो खास कर रात में नाम नहीं लिया जाता है उसके जगह 395 या 95 मात्र का जिक्र किया जाता है    … ये टोटका अक्सर लोग पालन करते हैं   …
एक टोटका और ऐसा है अक्सर कोतवाल अपनी कुर्सी नहीं बदलते  .. ख़ास कर कोतवाल की मुख्य टेबल जो है उसे हिलाया नहीं जाता  … अगर हिल गया तो कोतवाल भी हिल गए   …
टोटका में एक आलिंगन भी है  …
नहीं ये इंसानियत आलिंगन नहीं FIR बुक और स्टेशन डायरी कभी सटा कर नहीं रखा जाता   … दोनों का आलिंगन हुआ तो थाना क्षेत्र में आफत तय   ….
रंग रोगन अगर कोई कोतवाल अपने कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज चबूतरा के अतिरिक्त थाना भवन में करा लिए तो आफत तय है
एक टोटका अजीब है जान कर आम लोग हैरान हो जाएंगे  …
हालांकि पुलिस वाले बखूबी जानते ही होंगे   ..  यूडी कांड जी हाँ अन नेचुरल डेथ मामला अगर कोतवाल के कार्यकाल सम्हालते थाना में पहला मामला आ गया तो समझे कोतवाल अपने कार्यकाल को बेहतर तरीके से पूरा करेंगे   … उस कार्यकाल में एक या दो ही   92 नजर आएगा   … इस कार्यकाल में कोतवाल बगैर टॉक अप के भी किसी बड़ी कार्रवाई से बचते रहेंगे और कुशल कार्यकाल होगा   …
ये रही टोटका की बात जिसमे कभी कभी कुछ कोतवाल से गलती हो ही जाते है  …
वहीं बेहतर पुलिस अफसर एक और बात का ख्याल रखते हैं थाना में आयी महिला और थाना में मालखाना में रखा एमआर चढ़ा सामान पर लोभ नहीं करते  … जो भी इसमें शामिल हुए कभी न कभी कार्रवाई के शिकार हुए तो कुछ जेल भी गए   .. यूडी मामले में जो कुछ बाएं दाएं किए उनके साथ भी हो जाती है अनहोनी   …
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