बिहार में शराबबंदी के बाद स्मैक, चरस और गांजा की बिक्री ने जोड़ पकड़ लिया है … शराब तो नियमित सेवन करने वालों तक पहुँच ही रहा है लेकिन युवा वर्ग जो शराब के सेवन के साथ भ्रमण नहीं कर पाते वैसे युवा मादक पदार्थ का सेवन कर नशे के गिरफ्त में जा रहे हैं … उत्तर बिहार में नेपाल की सीमा सटे होने की वजह से इन इलाकों में तस्कर कई रास्तों से ले कर खेप तो पहुँच रहे हैं लेकिन जिलों में कुछ तस्करो ने नई तरकीब निकाल लिया है डिलीवरी के लिए
50 से 500 ग्राम का पैकेट को माफिया घोड़ा पर भेज रहे
मुजफ्फरपुर में एनएच और उससे सटे इलाके में तस्कर कम उम्र के बच्चों का प्रयोग कर रहे हैं मादक पदार्थ को एक जगह से दूसरे जगह खुदरा विक्रेता तक भेजे जाने के लिए … कुछ दिन पूर्व सदर थाना क्षेत्र में स्मैक के साथ हुई गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने जेल भेज दिया विक्रेता को … सूत्रों की मानें तो उसे पुलिस ने तब पकड़ा जब उसके पास नगण्य स्मैक की पुड़िया थी … 50 से 500 ग्राम का पैकेट को माफिया घोड़ा पर भेज रहे हैं …. घोड़ा सवार कम उम्र के बच्चे नीले धुआं के तस्करी के दलदल में फंसते जा रहे हैं वही आशंका ये भी है कुछ छोटे बच्चे जो कल तक सुलेशन के नशे में थे वह अब मादक पदार्थ का सेवन करने लगे हैं … जानकारों की माने तो शहर से ग्रामीण अंचल तक मादक पदार्थ के तस्कर सक्रिय हैं … मुख्य रूप से मिठनपुरा थाना क्षेत्र, अहियापुर, सदर और नगर थाना क्षेत्र में बड़े कारोबारी है … वही काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र में कुछ बड़े कारोबारी अपने रैकेट को चला रहे है … बड़ा सवाल ये है कि थाना स्तर से कोई बड़े कारोबारी की गिरफ़्तारी नहीं होती जो तस्कर बड़े पैमाने पर करोड़ का धंधा कर रहे हैं …