मुजफ्फरपुर का अहियापुर थाना क्षेत्र में SKMCH रोड में पुराना जीरो माइल चौक अपराध का सुरक्षित क्षेत्र दशकों से अपराधियों के लिए रहा … इस क्षेत्र में अपराध नियंत्रण के लिए दो दशक पूर्व तत्कालीन एसपी नैय्यर हसनैन खान के द्वारा अतिरिक्त गस्ती कराई जाती थी अहियापुर थाना द्वारा …. कुछ दिन बाद तत्कालीन एसपी रविंद्र कुमार सिंह ने आम लोगों के सुरक्षा हित के आलोक में आम लोगों के सहयोग से एक ‘पुलिस जन सहयोग अपराध नियंत्रण केंद्र’ का स्थापना कर शुरू कराया एक सेक्शन फोर्स की व्यवस्था रही जिससे क्षेत्र में अपराध पर बहुत हद तक लगाम लगे …
मुजफ्फरपुर के तत्कालीन एसपी आर के सिंह ने 22 जनवरी 2003 को ‘पुलिस जन सहयोग अपराध नियंत्रण केंद्र’ का स्थापना किया उसे अब ध्वस्त कर दिया गया … इस मामले में एक कांड भी दर्ज हुआ लेकिन अहियापुर के तत्कालीन थानेदार के द्वारा कांड को फाइनल कर दिया गया …. जिसमे दलील दी गयी की ऐसा कोई कागजी प्रमाण नहीं है … हद तो ये है तत्कालीन थानेदार अपने पुलिस केंद्र के ही मामले में हीलाहवाली करते रहे और सुरक्षित नहीं कर सके ….अगर बात कागजी प्रमाण का है तो मुजफ्फरपुर का जिला स्कूल का आवासीय भवन पर कब्ज़ा क्यों ?

पिछले कुछ वर्षों में अपराध का सुरक्षित क्षेत्र एक बार फिर बनता दिखा … श्री नारायण सिंह के भाई नवल सिंह की हत्या, क्रीँची सहनी की हत्या, दीपक ज्वेलर्स के मालिक पर गोलीबारी, एक और स्वर्ण कारोबारी से लूट, एक महिला से लूट, ऐसी घटना ने ये साफ़ कर दिया की अक्सर इस इलाके में अपराधी खुद को सुरक्षित मानते हुए अपराध को अंजाम देते हैं …. कई ऐसे मामले हैं जो पुलिस तक पहुँचते भी नहीं …. अब तो हद ये है स्मैकियर का गढ़ शराब का गढ़ बन गया यह इलाका … इस इलाके में शराब का खेप उतरना और स्मैक के थोक कारोबारी का भी सुरक्षित क्षेत्र बन गया …. समय समय पर कुछ स्मैक के पैडलर गिरफ्तार जरूर हुए लेकिन बड़े कारोबारी पर पुलिस हाथ नहीं डाल सकी …. जब पुलिस अपने ही केंद्र के सुरक्षा नहीं कर सकी तो आम लोगों के घर जमीन पर जो कब्ज़ा का खेल जिला में चल रहा है उसे कैसे रोकेगी .. ?