मुजफ्फरपुर के सभी अंचल में बड़ा खेल जारी है …. पिछले दिनों निगरानी टीम द्वारा घुस लेते पकड़े गए राजस्व कर्मचारी अजित कुमार को हल्का 3 और 12 का प्रभार था … अजित तो ट्रेलर के रूप में सामने आया …. हर अंचल में ऐसे कई अजित हैं जो मोटी रकम लेने के लिए कई तरह का खेल खेलते हैं … मुशहरी अंचल में हल्का कर्मचारियों द्वारा दाखिल खारिज़ के मामलों को ऑब्जेक्ट केस में भेजकर अस्वीकृत करने का बड़ा खेल चल रहा है …. यह खेल वर्तमान सीओ के आने के बाद से शुरू हुआ ऐसा नहीं है ….. इनके पूर्व जो थे उनके कार्यकाल में तो हल्का कर्मचारी के ऐसा उनका भी एक गोपनीय कार्यालय बीबीगंज में चलता था …. हल्का कर्मी को अदृश्य समर्थन सीओ का मिलता है … इस खेल में अंचल कर्मी, सीआई, हल्का कर्मचारी के साथ सीओ के पॉकेट गर्म होते हैं साथ ही अटॉर्नी की भी बल्ले बल्ले होता है ….

आम लोग का सीओ के पास शिकायत जाने पर उस मामले को पुनः रिअप्लाई करने की बात कही जाती है …. इस कारण सिर्फ मुशहरी अंचल में दाखिल खारिज़ के आवेदनों की लंबी फेहरिस्त बनी रही है …. एक ही दाखिल खारिज के चार बार आवेदन खड़े हो रहे हैं …. आवेदनों को निरस्त कर अंचल द्वारा बड़ी संख्या में आवेदन का निस्तारण दिखा दिया जा रहा है …. आवेदको द्वारा बताया जाता रहा है कि जब तक अटॉर्नी से मुलाकात और बात नहीं होती है तब तक मामला अंतिम रूप से निष्पादित नहीं होता है …
इससे भी बुरी हालत परिमार्जन के मामलों में होती है …. जमाबंदीधारक की सही जमाबंदी ऑनलाइन चढ़ाने में बिना चढ़ावा के अब तक बड़ी पैरवी के बाद भी कुछ नहीं हुआ …. परिमार्जन के आवेदक दौड़ते दौड़ते परेशान है …. आम परेशान लोगों ने बताया कि सीओ के चहेतों के साथ बिना सेटिंग के जमाबंदी ऑनलाइन नही चढ़ता है …. लोगो ने बताया कि सीओ द्वारा एलपीसी के निष्पादन में अनावश्यक विलंब किया जा रहा है …. राजस्व कर्मचारियों द्वारा सीओ के नाम पर खुले तौर पर रिश्वत की मांग की जाती है …. रिश्वत न मिलने पर मामलों में उल जुलूल रिपोर्ट पर अस्वीकृत करवा दिया जाता है ….
हल्का कर्मचारियों द्वारा बिना सेटिंग के आवेदनों पर दखल कब्जा नही है, दस्तावेज संख्या गलत है, वंशावली या दरकेबाला संलग्न नही है, भूमि विवादित है, पुराने कई नाम पर जमाबंदी कायम है आदि रिपोर्ट हल्का कर्मचारियों से कराकर वाजिब मामलों को ऑब्जेक्ट केस में डालते हुए निष्पादित दिखा दिया जाता है …. अंचल सूत्रों के अनुसार ऐसा कर मुशहरी अंचल एक तरफ बड़ी संख्या में आवेदनों के निबटारे का प्रमाणपत्र प्राप्त करता है तो दूसरी तरफ बिना आमदनी के फाइलों को रिजेक्ट कर उन्हें अपनी आमदनी की धारा में लाने का बड़ा खेल भी यहां जारी है ….
यह भी बताया जाता है कि इस पूरे खेल के पीछे यहां राजस्व कर्मचारियों द्वारा गत चार दशकों में खड़ी की गई अटरनियों कि बड़ी भीड़ है जो वर्तमान में मुशहरी में पदस्थापित होने के लिए सीओ की बोली उस पर लगने वाली राशि अपनी तरफ से खर्च करते हैं …. ऐसे खर्च पर यहां बुलाये गए सीओ भी उन तथाकथित आकाओं के गुलाम नजर आते है … हद तो ये हुई कोई नए सीओ का विवाह होता है तो पत्नी के सुविधा के लिए वाशिंग मशीन भी लेना है तो वह हल्का कर्मचारी को फरमान जारी होता है इसके लिए …. अंचल में बड़ा खेला है … ऐसे में एक जुमला याद आता है …. “जहाँ हर शाख पर उल्लू बैठे हैं वहां अंजामे गुलिस्तां क्या होगी”
सिर्फ मुजफ्फरपुर में आर्थिक अपराध इकाई तफ्तीश करे तो कई हल्का कर्मी जो दिखाने के लिए लोन और कर्ज ले कर करोड़ो का आलीशान भवन बना कई बेनामी संपत्ति अर्जित कर रखा है