“बोली की गोली” व्यंग्य में एक नेता जी पर व्यंग्य ले कर आए हैं … व्यंग्य अगर किसी पर बैठ जाए तो क्या होगा जनता मालिक …. ठीक है
मुजफ्फरपुर में एक नेता जी कमाल के हैं … नेता जी शिक्षित हैं और इतने शिक्षित हैं की अपने परिवार के ही सदस्य को नजर अंदाज कर आगे बढ़ने में लग गए … नेता जी को टिकट लेना था … टिकट जहाँ से लेना था उस पार्टी के दूसरे स्तर के आका दिल्ली थे … नेता जी ने पहले से मन बना लिए था पार्टी बदलना है और फिर दंगल में कूदना है … नेता जी के एक रिश्तेदार भी टिकट दिलाने के जुगाड़ में लगे हुए थे … जुगाड़ काम आया और फिर दिल्ली में बैठे पार्टी के आका ने हामी भर दिया, ठीक है उसे टिकट देना है …

नेता जी एक पायदान ऊपर आए तो अब उस मार्फत के सर पर पैर रख छलांग मार गए … दूसरे दो लोगों के साथ उसी दरबार में पहुंचे … दरबार वाले नेता जी ने कहा आप तो फ्लां के साथ आने वाले थे … तो लीपापोती में जवाब नेता जी ने दे दिया … वही उनके साथ गए दो पैरवीकार ने नेता जी के रिश्तेदार के बारे में शर्मनाक कॉमेंट कर दिया … दिल्ली से आका आए नेता जी गए टिकट ले लिए … फिर अब उन दोनों के सर पर भी पैर रख अपनी चुनावी तैयारी में जुटे हैं … धनबल के माध्यम से प्रचार के साथ उड़ रहे हैं नेता जी … अब चुनावी दंगल में नेता जी जनता के किसके किसके सर पर पैर रख छलांग लगाते हैं ये आगे नजर आएगा … लेकिन जनता तो जनता है कहियो गोरवा खींच लेताउ