कहते हैं कि जब राजा के आँखों पर धूल झोक दिया जाए तो मंत्री बन जाते राजवाड़ा प्रमुख … बोली की गोली में ले कर आए हैं ऐसे ही एक मंत्री की दास्तान किस्सा का … एक क्षेत्र में एक मंत्री कागजी कार्रवाई के लिए मंत्री बने .. इससे पूर्व भी कई बार कुर्सी के पास पहुँच वापस पुनः मुसको भवः होते रहे … कागजी वाली कुर्सी पर पिता पुत्र का विवाद में मामला दर्ज हुआ .. पिता के आक्रोश को देखते हुए पुत्र को काल कोठरी में भेज दिया गया … काल कोठरी में भेजने वाले के पास पावर नहीं था कागजी कलम चलाने का … कागजी वाले कुर्सी पर विराजमान ने पिता पुत्र की लड़ाई का फायदा के लिए काल कोठरी से आए पुत्र से डिमांड कर दिया 15 तोला का … इसके बदले छोटे छोटे बच्चे जो नाबालिग बच्ची और बच्चा है उसे अपनी कागजी कलम से बेदाग करने के लिए … वृद्ध पिता जो थे अपने पुत्र सहित पौत्र और पौत्री को भी गुनहगार बना कर दिए थे कागज

मंत्री कागज़ वाले को कागज के रूप में तोला प्राप्त नहीं हुआ तो नाबालिग बच्चों को भी बड़े धाराओं में सही साबित कर दिया … अब मंत्री जी के करतूतों से राजा अनभिज्ञ हैं … इस बीच मंत्री जी धूल झोकने में कामयाब रहे अब एक राजवाड़ा वाली कुर्सी पर विराजमान है .. हालांकि जहाँ विराजमान है उस कुर्सी का दाखिल पत्र नहीं मिला है … लेकिन 15 तोला वाले क्षेत्र से उस कुर्सी तक का सफर कर लिए हैं जहाँ तोला नहीं 45 से ऊपर असर्फी का जगह है …. असर्फी यानी 100 तोला का एक असर्फी … मंत्री जी की अब चल निकली है राजवाड़ा वाले कुर्सी पर