“बोली की गोली” अरे ओ भाई साहब ‘सही पकड़े हैं’ ये थानाध्यक्ष का कक्ष है ‘पार्टी कार्यालय नहीं

pmbnewsweb
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बिहार में थानेदारी मिल जाए तो कोतवाल की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद तो बल्ले – बल्ले हो जाता है   … वहीं एक कोतवाल हैं जो कोतवाली छोड़ सेंटिंग पसंद किए  … लाजमी है सिंगल स्टार से ट्रिपल स्टार का सफर तय करना है  … ट्रीपल स्टार का बड़ा बोझ के साथ BP से BPS मिलेगा  … वृद्ध स्मार्ट सा दिखने वाले ने कुर्सी छोड़ा और सुपरविजन के लिए निकल लिए साहब की कृपा से   … साहब भी कभी कद में छोटे वाले को कोतवाली के जोखिम भरे बोझ से मुक्त किया तो फिर वृद्ध को भी मुक्त किया  … साहब को भी इनके कामो से कार्यकाल के दौरान काफी राहत था इलाके से   … साहब भी BP से BPS बनने में परेशानी न हो इसके लिए भावुक रहे   …
छोटे कद वाली कुर्सी पर युवा आए कोई लामलिफ़ाफ़ नहीं सिर्फ कार्य पर भरोसा  … ये ऐसे है जो जिला के बड़े बड़े मामले को जहाँ थे वहां से सुलझाते थे  … दबंग अंदाज के साथ और भी बहुत खूबी है अपराध नियंत्रण में जो शब्दों में पिरोया नहीं जा सकता  ..
वृद्ध कोतवाल की कुर्सी पर एक साहब आए  .. ये भी वृद्ध हैं लेकिन इनके युवा प्रेमी काफी है   … ये साहब जब आए तो इनका कक्ष पार्टी कार्यालय बन गया  … लोग तो दूर थाना के अन्य कर्मी भी ये सोच में पर गए कि ये बड़ा बाबू का बंद खिड़की टूटे दरबाजे वाला कक्ष है या किस राजनितिक पार्टी का कार्यालय   … ऐसे ये कार्यालय काफी चर्चा में भी रहा है   … यहाँ बिहार पुलिस महकमे के सबसे बड़े अधिकारी बाबा जी इस कुर्सी पर बैठ कर औचक निरिक्षण कर चुके है   … संयोग अच्छा उस वक़्त था तत्कालीन कोतवाल समय पर नहीं पहुंचे नहीं तो सीन कुछ और होता  … खैर ये साहब पार्टी कार्यालय बना कर खूब बुके और गुलदस्ता लेते रहे   …ये भूल गए थाना बुके और शुभकामना से नहीं चलता  …. थाना तो पुलिसिंग से चलता है   .. अब देखना दिलचस्प होगा बुके वाले कोतवाल कब तक अपराध मुक्त इलाका बनाने में कामयाब होते है   … ऐसे इलाके में शराब और स्मैक का कारोबार वृद्ध कोतवाल के जाने के बाद हाई लेवल पर बढ़ा हुआ है   …
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