“​बोचहां” कांग्रेस में सन्नाटा तो BJP की बैसाखी पर निर्दलीय मिला ताज – BJP का मिला साथ ​तो दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

pmbnewsweb
4 Min Read
मुजफ्फरपुर का बोचहां विधानसभा क्षेत्र में राजद और VIP के उम्मीदवार उतरने के बाद भाजपा उम्मीदवार के लिए बढ़ी हुई मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है  … निर्दलीय विधायक रही बेबी कुमारी पांच वर्ष में जो कार्य की उससे साफ़ है की क्षेत्र की अधिकांश जनता नाखुश है  … जिसका खामियाजा देखने को मिल रहा है   … बेबी कुमारी को वर्ष 2010 के ही चुनाव में जनता नकार चुकी थी  … कांग्रेस से टिकट ले चुनावी दंगल में अपना भाग्य जब आजमाने उत्तरी तो रमई राम 61 हजार 885 मत ला कर विजय हो गए तो मुसाफिर पासवान 37758 मत के साथ दूसरे स्थान पर रहे   …. वही बेबी कुमारी तीसरे स्थान पर लुढ़क गयी   …. मात्र 5 हजार 289 मत बेबी को मिले और 4.32% में सिमट गयी   …
दलबदल फिर हुई खामोश 2020
2015 चुनाव के लिए बेबी दमखम के साथ चुनावी तैयारी में जुट गयी थी भाजपा से टिकट के उम्मीद के साथ  … चुनावी तैयारी ऐसी थी कि एक पुजारी की हत्या हो गयी वहां भी बेबी पहुंची तो पीछे पीछे प्रचार गाड़ी पहुँच गया उस गमगीन माहौल में  … NDA  से टिकट नहीं मिलने पर बेबी के बहते आंसुओं में जनता बहती चली गयी   … ख़ास कर क्षेत्र के भ्रमण के दौरान महिलाओं से सीधे सम्बाद का रिजल्ट भी मिला  … वही जिला बीजेपी के बड़ी ताकत निर्दलीय उम्मीदवार बेबी के साथ रही और चुनाव जीत गयी   …
चुनाव जीतने के बाद बेबी बैकफुट पर आ गयी और सिर्फ तस्वीरों में ही दिखी  … उनके पति मुख्य रूप से क्षेत्र में विधायक के कार्य निष्पादन में जुटे रहे   … क्षेत्र में भाजपा नेताओं का जो सम्मान और कार्य मिलना चाहिए था उसमे बेबी फेल हुई जिस वजह से कई कार्यकर्ता खास कर वृद्ध और सम्मानित लोगों में गुस्सा साफ़ दिखने लगा था   … 2020 में एक बार फिर बेबी को टिकट नहीं मिला भाजपा से सीट VIP के खाते में गई  … धनबल से मुसाफिर पासवान ने न सिर्फ टिकट पा लिया जित भी गए लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव पर स्वर्गवास हो गया  … मुसाफिर पासवान के मौत के बाद 2022 में बेबी ने टिकट तो पा लिया भाजपा से, लेकिन क्षेत्र की जनता को कितना अपने पक्ष में कर पाती हैं यह तो एक सपना ऐसा दिख रहा है   ….
वक़त के साथ बदलती रही तस्वीर
बेबी कुमारी के खिलाफ मुख्य रूप से ठेकेदारी में हुए खेल से लोग नाराज है   … किसी मौत पर सरकारी चेक घर पर मंगवा कर पीड़ित को घर बुला कर देने की परम्परा जो चला पांच वर्ष वह भी जनता देखि  … खास कर प्रखंड स्तर पर जो कुछ भी हुआ उससे जनता रु ब रु होती रही  .. ऐसे में बोचहां चुनाव एक तरफ़ा कतई नहीं दिख रहा है  … आंसुओं के सैलाब और  जिला भाजपा के अंदरूनी समर्थन से जित एक बार मिल गयी  … इस चुनाव में न आँसुओं का एक बून्द है और न क्षेत्र में हुए कमी के लिए हुए क्षमा मांगने का समय है   … ऐसे में बेबी ही नहीं भाजपा के कई दिग्गज का प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है   …
Share This Article