बिहार में जहरीला जाम से मौत पर मुआवजा नहीं : नीतीश कुमार – मिथाइल अल्कोहल प्रोसेसिंग बना जानलेवा

pmbnewsweb
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बिहार में शराबबंदी के तमाम दावों के बीच हर जगह शराब उपलब्ध है, स्थिति ये है शराब से जुड़े कारोबारी कम लागत में बड़ा मुनाफा के चक्कर में शराब के जगह बेच रहे है जहरीली शराब। सिर्फ कारोबारी ही नहीं शराब निर्माण से जुड़े फैक्ट्री संचालक भी  मिथाइल अल्कोहल CnH6 प्रोसेसिंग करते हैं   …. अधिक माल बेचने के चक्कर में ये फैक्ट्री संचालक C2H5Oh  के प्रोसेसिंग को न करते हुए सीधा मिथाइल अल्कोहल की मात्रा कम कर सप्लाई कर रहे हैं. बिहार में हो रहे मौत के बाद ये साफ़ है सभी ने सिर्फ देशी शराब नहीं पिया, कई ऐसे लोग मरे हैं जिन्हों ने विदेशी शराब यानी अंग्रेजी शराब का सेवन किया है
आंकड़ा बढ़ेगा मौत का !
छपरा में आंकड़ा 60 से ऊपर पहुँच गया वहीं स्थानीय स्तर पर चर्चा है करीब तीन दर्जन लोगों की मौत के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया है, ऐसे में आंकड़ा 100 मौत के करीब माना जा रहा है. बेगूसराय और सिवान में हुए मौत के बाद उत्तर बिहार के वैशाली और मुजफ्फरपुर के साथ समस्तीपुर में दहशत बना हुआ है,
मुजफ्फरपुर एसएसपी जयंत कांत शराब के खिलाफ विशेष अभियान फिर लगातार चलाने का निर्देश दिए हुए हैं, वहीं थाना स्तर से बात की जाए तो एसएसपी के निर्देश का पूर्णतः पालन नहीं किया जा रहा है, एसएसपी के निर्देश पर चल रही विशेष पुलिस टीम स्पिरिट और शराब के सभी बड़े कारोबारी के ठिकाने पर दबिश दे रही है. जिस तरह से तीन जिलों में मामला सामने आया है उससे साफ़ है फैक्ट्री से निकले शराब में ही खोट है, ये शराब के खेप जिस – जिस जिले में गया है उन जिलों में कोई अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता
बिहार में राजनीति हुई गर्म 
शराबबंदी सिर्फ एक दिखावा साबित हो रहा है बिहार में, ऐसे में विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिला हुआ है, विपक्ष शराब बंदी के दौरान मौत पर सरकार को घेर रही है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब मांमले में हुए मौत पर मुआबजा से इंकार कर दिया है, वही मौत मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है, ऐसा माना जा रहा है जल्द इस मामले में कोर्ट में सुनवाई होगी, बात की जाए तो हर दिन बिहार के जिलों में सैकड़ो लोगों की गिरफ़्तारी होती है बेचने वाले और पिने वालों का, फिर भी शराब पर लगाम नहीं, इसके पीछे भी कौन जिम्मेदार है ? ये बड़ा सवाल है, पोलटिकल संरक्षण और विभागीय तौर पर कार्रवाई से कहीं कहीं पुलिस ये मधनिषेध विभाग पीछे दिखती है तो सवाल है किसके दबाव में हैं ये विभाग के लोग
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