बिहार के DGP के बाद मुजफ्फरपुर के कई कोतवाल ठग के निशाने पर “बोली की गोली”

pmbnewsweb
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अभिषेक अग्रवाल मामले में आर्थिक अपराध इकाई बिहार के द्वारा दर्ज CASE 32/22 से ये साफ हुआ की कैसे बिहार पुलिस के उच्च पद पर बैठे डीजीपी को भी ठग निशाने पर ले लिए थे  .. ऐसे ही कई ठग अभी भी बिहार के अन्य जिलों में होंगे जो बेनकाब न होने के कारण अपने मंसूबे में कामयाब होते आ रहे हैं  …. 32/22 EOU के मामले में U/S 419/420 IPC और 66C/66D आईटी एक्ट के तहत जांच और कार्रवाई चल रही है   …. इससे अलग मुजफ्फरपुर में कई कोतवाल इन दिनों ठगों के निशाने पर हैं   .. ये ठग न तो कॉल करते हैं, न हीं ये ठग मैसेज करते है फिर भी थाना में ठगी के शिकार बना रहे हैं
ABHISHEK AGEWAL FILE
इन दिनों कुछ थाना से ये जानकारी सामने आयी है सूत्रों के हवाले से कि थाना में कुछ ठग मधुमक्खी की तरह इर्द गिर्द होते हैं  … ये कोतवाल, मुंशी या फिर वैसे दरोगा या ASI का करीबी बन जा रहे हैं जैसे पुलिस के हमदर्द हैं  .. थाना में कोई भी मामला आता है तो उसे बारीकी से नजदीक हो समझते हैं  … ऐसे ठग खास कर इस मामले पर विशेष नजर रखते हैं जिसमे कोई व्यक्ति थाना में पर डिटेन किया गया हो या फिर हिरासत में लिया गया है  … बस यहीं से ठग का खेल शुरू होता है   … थाना प्रभारी हो या मुंशी या फिर जांच पदाधिकारी उनपर नजर ही नहीं उनकी बातों पर नजर रखते हैं  … अमूमन ऐसा होता है जांच के बाद जब छोड़ने की बात होती है तो डीएसपी या फिर बड़ा साहब यानी एसएसपी के आदेश या ग्रीन सिंग्नल का इंतजार होता है
हिरासत में लिए या फिर डिटेन किए व्यक्ति को छोड़े जाने के लिए आदेश आते, ऐसे ठग सक्रियता से पुलिस वालों से ये जानकारी ले लेते हैं कि छोड़ना है पीआर बॉन्ड पर  … फिर क्या ठग सम्बंधित व्यक्ति के परिजन से मिल मोटी राशि का उगाही कर लेते है कि छोड़वा देते हैं  … हद तो ये है कुछ मामले हाल में ऐसे हुए हैं जिसमे कोतवाल को भी इसकी भनक नहीं लगी  .. कुछ कोतवाल ऐसे लोगों को चिन्हित कर भी लिए है और वैसे ठग को किनारे करने में जुटे हुए हैं  … मामला पुलिस विभाग से जुड़ा है तो काफी गोपनीयता दिख रही है   … हाल में एक थाना में ऐसा कई मामला सामने आया है  .. वही दूसरे थाना में शराब के नशे में गिरफ्तार लोगों को तो जेल भेज दिया गया लेकिन यहाँ वर्दी वाले ही कुछ लोग ऐसे ही ठग को आगे कर चार चक्का वाहन छोड़ने के लिए बड़ी रकम की वसूली करने में कामयाब हो गए  …एक थाना में तो हिरासत में लिए शख्स से एक लाख की वसूली भी हो गयी ठग के द्वारा  .. हद तो ये रहा इस मामले में पुलिस विभाग के दूसरे विंग के इंस्पेक्टर के नाम पर भी उसमे शेयर लिया गया  … सूत्रों की मानें तो उक्त मामले की जानकारी जिला के वरीय अधिकारी तक भी पहुंची, फिर क्या ठग के मंसूबे पर पानी फिर गया और आरोपी जेल भेजा गया  …
 DGP वाले मामले में भी वर्दी वाले लोगों में अभिषेक की अच्छी पैठ थी, मुजफ्फरपुर में भी ऐसे कई ठग है जिनको कुछ वर्दी वाले का संरक्षण प्राप्त है  …
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