बिहार के एक जिला में शहरी क्षेत्र का शिक्षण संस्थानों का बड़ा क्षेत्र माने जाने वाला दो थाना है … एक थाना क्षेत्र में विश्वविद्यालय तक है तो दुसरा थाना क्षेत्र में कई निजी स्कूल सरकारी स्कूल और निजी कोचिंग संस्थान … इन दोनों क्षेत्र के कोतवाल चौराहे पर सिर्फ गाड़ी चेकिंग में नजर आएँगे जिससे इलाके में लोग ये पहचान लें की यही कोतवाल हैं … हद तो ये है आज तक न तो कोई बड़ा शराब का खेप पकड़ने में कामयाब हुए न ही कोई स्मैक के बड़े माफिया को पकड़े लेकिन फिर भी कोतवाल की कुर्सी पर विराजमान हैं … हद तो ये है एक कानून व्यवस्था के लिए पब्लिक को ही आगे आने की बात करते हैं, जब की इनके इलाके में बिहार झारखंड का सबसे बड़ा स्प्रिट माफिया का आशियाना है ….
दूसरे के नीचे वाले आगे हैं कोतवाल उनके पीछे … इलाके में गर्मी भी ज्यादा है लिहाजा पौन किलोमीटर पर पहुँचते पहुँचते बैग में पड़ा हुआ कागज सिकुड़ता नहीं है अदृश्य हो जाता है आधा से अधिक .. ऐसे में कैसे शराब और स्मैक पर लगाम लगेगा ये तो अधिकारी को ही समझना होगा … सूत्रों की मानें तो लिस्ट जिला से मुख्यालय तक मौजूद है कारोबारियों का …