जेल अधीक्षक का पद कुबेर का खजाना – सुरेश चौधरी जेल अधीक्षक के ठिकाने पर SVU के कार्रवाई में आया सामने

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विशेष निगरानी इकाई, पटना ने सुरेश चौधरी, जेल अधीक्षक कारागार और सुधार सेवा, गृह विभाग (जेल), सहरसा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया जिसके बाद धावा दल के द्वारा सरकारी कार्यालय से ले कर आवासीय आवास पर लिया गया तलाशी  … सुरेश चौधरी पर आरोप है कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने गलत तरीके से अकूत सम्पत्ति अर्जित की है जो कि उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य ज्ञात स्रोतों की तुलना में बहुत ही अधिक पायी गयी   … इसी आरोप पर उन पर कुल रु० 1,59.07.920/- गैरकानूनी और नाजायज ढंग से संपत्ति अर्जित करने  का मामला दर्ज किया गया
सुरेश चौधरी की बहाली और पारिवारिक पृष्ठभूमि 
सुरेश चौधरी की बहाली सहायक जेलर के रूप में 1994 में हुई थी   … श्री चौधरी के चार संताने है  … प्राईवेट मेडिकल कॉलेज में एक बेटी का नामांकन 15 लाख खर्च कर कराया है  …  एक बेटा बैंगलोर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है   … दूसरा बेटा मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है   …  इनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में लाखों रूपये का खर्च है   … एक बच्चा मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है   … पढ़ाई-लिखाई एवं हवाई यात्रा पर कई लाख रुपये का खर्चा लगातार दिख रहा है
रहन-सहन काफी विलासितापूर्ण
अभी तक के तलाशी में अभियुक्त जेल अधीक्षक सुरेश चौधरी के पास जो अचल सम्पत्ति यह पता चला है कि आरोपी के पास 02 तीन मंजिला इमारत (G+2) है, जो कई लाख रुपये खर्च करके अच्छी से सजाया गया है और सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है इनका रहन-सहन काफी विलासितापूर्ण है जो कि उनके द्वारा निर्मित भवनों के निर्माण की तलाशी के दौरान पता चला है   …  इमारत की अनुमानित लागत लगभग चार करोड़ और उससे अधिक होने की संभावना है जो देखने से स्पष्ट है   …  सर्वे के दौरान बकाया 17 लाख रू० SBI बैंक मुजफ्फरपुर में पाये गये हैं और लगभग 3 लाख पंजाब नेशनल बैंक मुजफ्फरपुर में पाये गये है   … इसके अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि तथा लगभग 10 लाख रू० आरोपी के सरकारी कक्ष, सहरसा से बरामद किया गया है
वेतन का पैसा पिछले एक साल से नहीं निकाला
पैसे का काफी ज्यादा निवेश जमीन की खरीदी एवं प्लॉट में किया गया है, जिसका लगभग 15 डीड प्राप्त हुआ जो मुख्यतः मुजफ्फरपुर मोतीपुर और हाजीपुर का है इसमें लगभग तीन करोड़ से ऊपर राशि निवेश होने के साक्ष्य मिले है   … इसके अलावा आरोपी और उसके आश्रितों के पास लगभग 38 से अधिक बैंक में खाते में फिक्स डिपॉजिट है सावधि जमा में 3 लाख रू० के निवेश का भी पता चला है   …  लाखों रुपये के जेवरात भी मिले है  …  इन्होंने अपने वेतन का पैसा पिछले एक साल से नहीं निकाला है ऐसा अनुमान है कि पूर्व वर्षों में वेतन की निकासी नहीं हुई है   … आगे कार्रवाई जारी है
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