मुजफ्फरपुर में स्मैक का कारोबार दिन प्रति इतना ज्यादा बढ़ गया कि अब यहाँ के कारोबारी महानगरों तक देने लगे सप्लाई …. हद तो ये है इन कारोबारी के खिलाफ अगर जांच हो जाए इनके कॉल डिटेल से तो कई हो जाएंगे बेनकाब … कारोबार को कहीं न कही थाना स्तर से ढील या फिर यूँ कहें तो अंदरखाने सेटिंग रहती है जिसका फायदा ये होता है कारोबारी को जब छोटे होकर पकड़े जाते हैं तो बड़े कारोबार करने वाले बच जाते हैं …

मुजफ्फरपुर में स्मैक का इतिहास
इस स्मैक के कारोबार वर्ष 2004 के बाद बढ़ते देखा गया … वही वर्ष 2008 से 2009 के बीच जिला के दो एसपी के कार्यकाल में बड़ी कार्रवाई दिखी थी … तत्कालीन एसपी सुधांशु कुमार और फिर तत्कालीन एसपी / एसएसपी सुनील कुमार के कार्यकाल में बड़ी कार्रवाई दिखी थी …इस दौरान के कई सब इंस्पेक्टर की एक विशेष टीम थी उन्होंने एसपी के निर्देश पर कार्रवाई किया था … उसी दौरान जिला का ही नहीं बिहार का बड़ा कारोबारी धंधे को छोड़ शहर से गायब हुआ जो आज तक फिर नहीं दिखा ….

जेल से छूटे कारोबारी क्यों शुरू किया कारोबार ?
उस कार्रवाई के बाद काजीमोहम्मदपुर थाना के तत्कालीन कोतवाल बालेश्वर प्रसाद ने एक बड़े कारोबारी के नगर थाना क्षेत्र के ठिकाने से आधा किलो मादक पदार्थ बरामद किया था … उन वर्षो के बाद बड़े कारोबारी की गिरफ़्तारी नहीं हुई … कुछ वर्ष पूर्व अहियापुर थाना के तत्कालीन कोतवाल विकाश राय ने एक बड़े कारोबारी को जेल भेजा लेकिन जेल से छूटने के बाद कोतवाल बदले और फिर कारोबार ने सिंडिकेट का रूप ले लिया … हद तो ये है इन कारोबारी को कही न कहीं से संरक्षण प्राप्त है .. ऐसा इस लिए की जब छोटे कारोबारी पकड़ में आते हैं तो बड़े कारोबारी पर कार्रवाई नहीं होती है … कारोबारी के कॉल डिटेल में कई राज छुपे हैं लेकिन कार्रवाई होगी तब तो राज खुलेगा ..

नस्ल बर्बाद हो रहा थाना की पुलिस खामोश
फिलहाल जिला में जो हालात है हर निजी विद्यालय और सभी कॉलेज के इर्द गिर्द कारोबार बढ़ा ही अब तो ग्रामीण क्षेत्र के सभी थाना क्षेत्र में यह नील धुआं का कारोबार बढ़ता चला गया … इस कारोबार में महिला और युवा के साथ छोटे छोटे बच्चों को भी शामिल कर लिया गया है … उड़ता पंजाब के तर्ज पर मुजफ्फरपुर भी उड़ता मुजफ्फरपुर के होते जा रहा है … इस नशे में नस्ल बर्बाद हो रहा है लेकिन कारोबारी को बचाने के लिए भी लोग लगे हुए हैं … तीन थाना क्षेत्र में मुख्य रूप से चार ऐसे कारोबारी हैं जो लाख नहीं करोड़ में कारोबार को कर रहे हैं .. वही ग्रामीण क्षेत्र के कई थाना क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रिटेलर कार्य कर रहे हैं .. सवाल बड़ा है शराब पकड़ने में व्यस्त पुलिस नस्ल को बर्बाद करने वाले इस कारोबार को जड़ से कब ख़त्म करेगी …